Byju’s Net Worth: भारत के सबसे बड़े स्टार्टअप बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन ने हाल ही में स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी कंपनी की विकास संभावनाओं को बहुत अधिक आंका था, जिससे अब बायजू दिवालियापन के कगार पर पहुंच चुकी है. एक समय दुनिया के अग्रणी एड-टेक स्टार्टअप के रूप में प्रसिद्ध हुई बायजू का मूल्यांकन अब शून्य हो चुका है. इसके बावजूद रवींद्रन को उम्मीद है कि कंपनी को बचाने का कोई न कोई तरीका जरूर निकलेगा.
बायजू की ऊंची उड़ान और गिरावट
बायजू, जो 21 से अधिक देशों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है और कोविड-19 महामारी के दौरान तेजी से लोकप्रियता हासिल की थी. ऑनलाइन शिक्षा के लिए प्लेटफॉर्म की मांग बढ़ने के साथ ही 2022 में बायजू का मूल्यांकन बढ़कर 22 बिलियन डॉलर हो गया था. इस दौरान बायजू ने अपनी मार्केटिंग, बड़े-बड़े अधिग्रहण, और वैश्विक विस्तार में जमकर निवेश किया. लेकिन कुछ ही समय बाद कंपनी को कुप्रबंधन और बकाया राशि न चुका पाने के आरोपों का सामना करना पड़ा.
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कंपनी का मूल्य अब शून्य है
गुरुवार को दुबई से एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पत्रकारों से बातचीत करते हुए बायजू रवींद्रन ने कहा, “कंपनी का मूल्य अब शून्य है. आप किस मूल्यांकन की बात कर रहे हैं? यह शून्य है” उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने संभावित वृद्धि का गलत अनुमान लगाया था और एक साथ कई बाजारों में प्रवेश कर लिया, जो बहुत जल्द और अधिक हो गया.
वित्तीय कठिनाइयों का सामना
अगस्त 2023 में बायजू को अमेरिकी ऋणदाताओं द्वारा 1 बिलियन डॉलर के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए भारतीय सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की गई थी. इसके बाद बायजू दिवालियापन की प्रक्रिया में फंस गई. कंपनी के बोर्ड से बड़े निवेशकों का बाहर निकलना, वित्तीय रिपोर्टिंग में देरी, और निवेशकों के साथ विवादों ने कंपनी की छवि और स्थिति को बुरी तरह से प्रभावित किया है.
रवींद्रन ने सभी आरोपों से किया इनकार
रवींद्रन ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि कंपनी ने कोई गलत काम नहीं किया है. उनका दावा है कि निवेशकों और लेनदारों के साथ जो भी मुद्दे हैं, उनका समाधान किया जाएगा. ग्लास ट्रस्ट, जो बायजू के विरोधी ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है, ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है. सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इस मामले में अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं आया है.
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निवेशकों का समर्थन और कंपनी की गिरावट
एक समय में बायजू को दुनिया के बड़े निवेशकों का समर्थन प्राप्त था. जनरल अटलांटिक और अन्य प्रमुख कंपनियों ने इसमें बड़े निवेश किए थे. लेकिन हाल के महीनों में कंपनी को कई झटके लगे हैं, जिसमें बोर्डरूम से बाहर निकलने की घटनाएं, वित्तीय खुलासों में देरी, और विदेशी निवेशकों के साथ सार्वजनिक विवाद शामिल हैं. इन सबके चलते बायजू की स्थिति लगातार कमजोर होती गई.
“मैं समाधान ढूंढूंगा” – रवींद्रन
गणितज्ञ से स्टार्टअप अरबपति बने बायजू रवींद्रन ने इस संकट के समय में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की है. उन्होंने कहा, “जो भी हो, मैं उसका समाधान ढूंढूंगा” हालांकि, कंपनी की मौजूदा स्थिति और चुनौतियों को देखते हुए इसे बचाना एक कठिन कार्य हो सकता है, फिर भी रवींद्रन ने अपने आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रखा है.
आगे की चुनौतियां
बायजू की मौजूदा स्थिति और उसके भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. वित्तीय कठिनाइयों, कानूनी मुद्दों और निवेशकों के असंतोष को हल करना कंपनी के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं. यह देखना बाकी है कि रवींद्रन और उनकी टीम इन कठिनाइयों से कैसे निपटते हैं और क्या वे बायजू को एक बार फिर से उभरने का मौका दे पाएंगे.
इस समय बायजू के लिए संकट का समय है, लेकिन शिक्षा क्षेत्र में इस स्टार्टअप का ऐतिहासिक योगदान और संभावनाएं अभी भी इसे एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती हैं.
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