बायजू रवींद्रन पर सुपर संकट, बीसीसीआई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पलटा एनसीएलटी का फैसला

Byju's: एनसीएलएटी ने 2 अगस्त 2024 को बीसीसीआई के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान को मंजूरी देने के बाद बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को बंद करने का आदेश दिया था. यह फैसला बायजू के लिए बड़ी राहत लेकर आया था.

By KumarVishwat Sen | October 23, 2024 3:30 PM

Byju’s: शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन को सुप्रीम कोर्ट से बुधवार 23 अक्टूबर 2024 को तगड़ा झटका लगा है. सर्वोच्च अदालत ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें उसने संकटग्रस्त शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. इससे बायजू रवींद्रन के संकट में और अधिक इजाफा हो गया. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनसीएलएटी के उस आदेश को भी पलट दिया, जिसमें बायजू को भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान को मंजूरी दी गई थी. अदालत ने क्रिकेट बोर्ड को 158.9 करोड़ रुपये की निपटान राशि कर्जदाताओं की समिति के पास जमा करने का निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलटी को लगाई फटकार

सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अमेरिकी कंपनी ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी ऋणदाता होने के नाते एनसीएलटी, एनसीएलएटी और सुप्रीम कोर्ट में कॉरपोरेट दिवाला कार्यवाही से संबंधित मामलों में प्रभावित पक्ष के रूप में हस्तक्षेप करने का अधिकार रखती है. सर्वोच्च अदालत ने दिवाला अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी को अपनी अंतर्निहित शक्तियों का सहारा लेकर बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को रोकने से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने के लिए फटकार लगाई.

डाकघर नहीं है एनसीएलटी

पीठ ने कहा कि एनसीएलएटी को डाकघर नहीं माना जा सकता, जो कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में पक्षों द्वारा प्रस्तुत वापसी आवेदन पर महज मुहर लगा देता है. अदालत ने कहा कि प्रक्रिया वापस लेने संबंधी याचिका आईआरपी (दिवाला समाधान पेशेवर) की ओर से पेश की जानी चाहिए थी, न कि कॉरपोरेट देनदार या अन्य पक्षों की ओर से पेश किया जाना चाहिए था. मौजूदा परिस्थितियों में एनसीएलएटी ने विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग उचित नहीं था.

सीओसी के पास पैसा जमा कराए बीसीसीआई: सीजेआई

पीठ ने कहा ककि अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल कानूनी प्रावधानों को खत्म करने के लिए नहीं किया जा सकता. पीठ ने एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ अमेरिकी कंपनी ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी की याचिका पर गौर करते हुए अपना फैसला सुनाया. अदालत ने आदेश दिया कि 158 करोड़ रुपये की राशि और उस पर अर्जित ब्याज (यदि कोई हो) सहित, जो 14 अगस्त के आदेश के अनुसार एक अलग एस्क्रो खाते में रखी गई है, बीसीसीआई को उसे ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के पास जमा कराने का निर्देश दिया जाता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सीओसी को दिया निर्देश

पीठ ने कहा कि इसके अलावा सीओसी को निर्देश दिया जाता है कि वह आगे की कार्यवाही तक राशि को एक अलग खाते में रखे और राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण के आगे के निर्देशों का पालन करें. एनसीएलएटी ने 2 अगस्त 2024 को भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान को मंजूरी देने के बाद बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को बंद करने का आदेश दिया था. यह फैसला बायजू के लिए बड़ी राहत लेकर आया, क्योंकि इसने प्रभावी रूप से इसके संस्थापक बायजू रवींद्रन को फिर से नियंत्रक स्थिति में ला दिया था. हालांकि, यह राहत थोड़े समय की रही क्योंकि बायजू को झटका देते हुए सर्वोच्च अदालत ने 14 अगस्त को एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगा दी थी.

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पीटीआई इनपुट

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