Byjus: संकट में घिरता जा रहा है बायजू, जानें एक साल में रवींद्रन बायजू की कितनी कम हो गयी संपत्ति
Byju's: पिछले साल रवींद्रन बायजू की कुल संपत्ति करीब 17.543 करोड़ रुपये थी. उनके स्टॉर्ट अप को दुनिया के सबसे सफल स्टॉर्ट अप में गिना जाता था. हालांकि, अब ये सबसे बड़ी नुकसान वाली स्टॉर्ट अप की श्रेणी में शामिल हो गयी है. हाल ही में जारी फोर्ब्स बिलियनेयर इंडेक्स 2024 के अनुसार, रवींद्रन की कुल संपत्ति शून्य हो गई है.
Byjus: वित्तीय परेशानी से जूझ रही एडटेक कंपनी बायजू की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. बताया जा रहा है कि कंपनी ने अपने करीब 500 कर्मचारियों को फोन करके निकाल दिया. वहीं, एक हजार से 1500 कर्मचारियों की और छंटनी हो सकती है. हालांकि, इस बीच कंपनी के संस्थापक रवींद्रन बायजू को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. एक साल पहले रवींद्रन बायजू की कुल संपत्ति करीब 17.543 करोड़ रुपये थी. उनके स्टॉर्ट अप को दुनिया के सबसे सफल स्टॉर्ट अप में गिना जाता था. हालांकि, अब ये सबसे बड़ी नुकसान वाली स्टॉर्ट अप की श्रेणी में शामिल हो गयी है. हाल ही में जारी फोर्ब्स बिलियनेयर इंडेक्स 2024 के अनुसार, रवींद्रन की कुल संपत्ति शून्य हो गई है.
बाजार में बने रहने के लिए कंपनी कर रही संघर्ष
बायजू के गिरने को लेकर, रवींद्रन को कड़ी आलोचना झेलना पड़ा. प्रोसस एनवी और पीक एक्सवी पार्टनर्स सहित कंपनी के कई शेयरधारकों ने पिछले महीने उन्हें सीईओ के पद से हटाने के लिए मतदान किया था. इस बीच कंपनी को ईडी के जांच का भी सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, कंपनी ऑनलाइन ट्यूटरिंग के कारोबार में बने रहने की पूरी कोशिश कर रही है.
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2011 में हुई थी कंपनी की स्थापना
बायजू की स्थापना साल 2011 में हुई थी. काफी कम वक्त में ही ये भारत का सबसे मुल्यवान स्टॉर्टअप बन गया. 2022 में 22 बिलियन डॉलर के उच्चतम मूल्यांकन के स्तर को छू लिया था. रवींद्रन के दिमाग की उपज ने भारतीय शिक्षा में, खासकर कोरोना काल बड़ी क्रांति की. कंपनी के द्वारा पहली क्लास से लेकर एमबीए तक के छात्रों को ऑनलाइन ट्यूशन दिया जाता है.
क्यों फेल हो गयी कंपनी
शिक्षा-प्रौद्योगिकी मंच के रुप में बायजू काफी तेजी से उभरा. इसके माध्यम से छात्रों को सस्ते में अच्छी ऑनलाइन शिक्षा मिल रही थी. कोविड काल में कंपनी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. साथ ही, बच्चों की काफी मदद हुई. मगर कई कारणों से कंपनी की स्थिति खराब हो गयी.
- बाजार संतृप्ति और प्रतिस्पर्धा: भारत में एड-टेक बाजार संतृप्त हो गया, जिसमें कई खिलाड़ी हिस्सा लेने के लिए प्रतिस्पर्धा करने लगे. स्थापित प्रतिस्पर्धियों और उभरते स्टार्टअप्स ने प्रतिस्पर्धा तेज कर दी, जिससे बायजू के लिए बाजार में अपना प्रभुत्व बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया.
- स्केलिंग और परिचालन बाधाएं: तेजी से विस्तार ने परिचालन संबंधी चुनौतियां पैदा कीं, जिससे ग्राहक सेवा और सामग्री वितरण की गुणवत्ता प्रभावित हुई. विकास को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में असमर्थता के कारण ग्राहक प्रतिधारण संबंधी समस्याएं पैदा हुईं.
- धन उगाही पर अत्यधिक निर्भरता: बायजू ने निरंतर धन उगाहने पर बहुत अधिक भरोसा किया, जिससे वास्तविक विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अत्यधिक दबाव पैदा हुआ. ठोस राजस्व धाराओं के बिना स्केलिंग पर ध्यान केंद्रित करने से एक अस्थिर व्यवसाय मॉडल तैयार हुआ.
- छंटनी का निर्णय और उसका प्रभाव: जैसे ही बायजू को बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ा, कंपनी ने छंटनी को लागू करने का कठिन निर्णय लिया, जिससे उसके कार्यबल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रभावित हुआ. इस कदम ने न केवल कंपनी के संघर्षों की गंभीरता को उजागर किया बल्कि कर्मचारियों के मनोबल और सार्वजनिक धारणा पर भी असर पड़ा. छंटनी के फैसले ने बायजू के आंतरिक मुद्दों को सामने ला दिया, जिससे कंपनी की तूफान का सामना करने की क्षमता और प्रतिभा प्रबंधन के दृष्टिकोण पर सवाल उठाया गया.
- राजस्व और निवेशकों के विश्वास में गिरावट: बायजू को शुरू में एक यूनिकॉर्न के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था. लेकिन बाजार संतृप्ति और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण इसकी राजस्व वृद्धि स्थिर होने लगी. राजस्व धाराओं में विविधता लाने में विफलता और कुछ प्रमुख उत्पादों पर अत्यधिक निर्भरता ने टिकाऊ विकास की इसकी क्षमता को सीमित कर दिया.
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