पेट्रोल के दाम स्थिर करने को एथनॉल की कीमतों में 1.47 रुपये की वृद्धि, गन्ना किसानों को होगा फायदा

गन्ने के रस से निकाले जाने वाले एथनॉल की कीमत को दिसंबर, 2021 से शुरू होने वाले विपणन वर्ष में 62.65 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 63.45 रुपये प्रति लीटर करने की मंजूरी दी गयी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2021 7:57 PM

नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने पेट्रोल की कीमतों को स्थिर करने के लिए उसमें मिलाये जाने वाले एथनॉल की कीमतों में 1.47 रुपये प्रति लीटर तक की वृद्धि को मंजूरी दे दी है. दिसंबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2021-22 के लिए एथनॉल के दाम बढ़ाये गये हैं. पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण बढ़ने से भारत का कच्चे तेल का आयात बिल कम करने में मदद मिलेगी. साथ ही इससे गन्ना किसानों और चीनी मिलों को भी फायदा होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में गन्ने के रस से निकाले जाने वाले एथनॉल की कीमत को दिसंबर, 2021 से शुरू होने वाले विपणन वर्ष में 62.65 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 63.45 रुपये प्रति लीटर करने की मंजूरी दी गयी. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सीसीईए की बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी.

अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘सी-हेवी शीरे के एथनॉल का दाम 45.69 रुपये से बढ़ाकर 46.66 रुपये प्रति लीटर किया गया है. वहीं बी-हेवी के एथनॉल का दाम 57.61 रुपये से बढ़ाकर 59.08 रुपये प्रति लीटर करने की मंजूरी दी गयी है.’

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पेट्रोलियम कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर ही एथनॉल की खरीद करती हैं. अनुराग ठाकुर ने बताया कि वर्ष 2020-21 में पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण आठ प्रतिशत पर पहुंच गया है. भारत का 2025 तक इसे 20 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है.

पेट्रोल की कीमतों में आयेगी स्थिरता

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सरकार के इस कदम से न केवल मूल्य स्थिरता की स्थिति बनेगी, बल्कि इससे एथनॉल आपूर्तिकर्ताओं को लाभकारी मूल्य भी प्राप्त हो सकेगा. इसके अलावा इस कदम से गन्ना किसानों का बकाया चुकाने में मदद मिलेगी और कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को भी कम किया जा सकेगा.

बयान के मुताबिक, इस फैसले से विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी और पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा. सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों को दूसरी पीढ़ी (2जी) के एथनॉल की कीमत तय करने की छूट देने का भी फैसला किया है. इससे देश में आधुनिक जैव ईंधन रिफाइनरियों की स्थापना में मदद मिलेगी.

डिस्टिलरियों को भी होगा फायदा

सभी डिस्टिलरी इस योजना का लाभ उठा सकेंगी और उनमें से बड़ी संख्या में ईबीपी कार्यक्रम के लिए एथनॉल की आपूर्ति करने की उम्मीद है. सरकार एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम लागू कर रही है, जिसमें तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) 10 प्रतिशत तक एथनॉल मिश्रित पेट्रोल को बेचती हैं.

वैकल्पिक और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अप्रैल, 2019 से अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह के केंद्रशासित प्रदेशों को छोड़कर पूरे भारत में इस कार्यक्रम का विस्तार किया गया है.

कृषि को मिलेगा बढ़ावा

इस व्यवस्था के माध्यम से ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता कम करने और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया जा रहा है. सरकार ने वर्ष 2014 से एथनॉल के प्रभावी मूल्य को अधिसूचित किया था. वर्ष 2018 में पहली बार सरकार ने एथनॉल उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के आधार पर एथनॉल के अंतर मूल्य की घोषणा की थी.

इन निर्णयों ने एथनॉल की आपूर्ति में काफी सुधार किया है. सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों द्वारा एथनॉल की खरीद एथनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से मौजूदा ईएसवाई वर्ष 2020-21 में बढ़कर 350 करोड़ लीटर से अधिक हो गयी है.

Posted By: Mithilesh Jha

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