केयर्न ने स्वीकारा मोदी सरकार का ऑफर, 1 अरब डॉलर का रिफंड मिलने के बाद वापस लेगी भारत के खिलाफ सारे केस

केयर्न ने कहा है कि वह 1 अरब डॉलर का रिफंड मिलने के बाद ही मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर देगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2021 7:35 PM

नई दिल्ली : ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी ने केंद्र की मोदी सरकार के ऑफर को स्वीकार कर लिया है. उसने ऐलान किया है कि वह फ्रांस से लेकर अमेरिका में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने से संबंधित मामलों को वापस लेगी. इसके पहले, भारत सरकार ने पिछली तारीख से कर कानून को समाप्त करने की घोषणा की है. इसके बाद केयर्न ने सरकार की 1 अरब डॉलर की रकम वापस करने के ऑफर को स्वीकार कर लिया है.

केयर्न ने कहा है कि वह 1 अरब डॉलर का रिफंड मिलने के बाद ही मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर देगी. कंपनी ने 2012 की नीति को रद्द करने के सरकार के फैसले को साहसी कदम करार दिया है. सरकार ने पिछले महीने ही एक कानून के जरिए 2012 की इस नीति को रद्द कर दिया है. इस कानून के तहत आयकर विभाग को 50 साल तक पुराने ऐसे मामलों में कैपिटल गेन टैक्स लगाने का अधिकार था, जिसमें स्वामित्व में बदलाव तो विदेश में हुआ है, लेकिन कारोबारी परिसंपत्तियां भारत में ही हैं. केयर्न को देश में जमीनी क्षेत्र में सबसे बड़ी तेल खोज का श्रेय जाता है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, केयर्न के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) साइमन थॉमसन ने कहा कि सभी मामलों को वापस लेने और पिछली तारीख से टैक्स डिमांड के प्रवर्तन के लिए जब्त राशि को लौटाने का ऑफर हमें स्वीकर है. केयर्न पेरिस में अपार्टमेंट और अमेरिका में एयर इंडिया के विमानों को जब्त करने के मामलों को रिफंड मिलने के कुछ ही दिन बाद वापस लेगी. उन्होंने यह भी कहा कि केयर्न के शेयरधारक भी इस पेशकश को स्वीकार करने और आगे बढ़ने के पक्ष में हैं.

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थॉमसन ने कहा कि हमारे प्रमुख शेयरहोल्डर्स (ब्लैकरॉक और फ्रैंकलिन टेंपलटन) इस ऑफर को स्वीकार करने के मूड में हैं. हमारे विचार को हमारे प्रमुख शेयरहोल्डर्स का समर्थन है. बीती बातों को पकड़कर रखने के बजाए हम आगे बढ़ने के मूड में हैं. हम ऐसी चीज पर टिके नहीं रहना चाहते, जो सभी के लिए नुकसानदेह साबित हो.

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बता दें कि निवेश के तौर पर भारत की छवि को दुरुस्त करने के लिए सरकार ने पिछले महीने एक नया कानून लागू करते हुए कई मल्टीनेशनल कंपनियों (वोडाफोन, फार्मास्युटिकल्स कंपनी सनोफी, केयर्न और साबमिलर) के खिलाफ 1.1 लाख करोड़ रुपये की टैक्स डिमांड को छोड़ने का फैसला किया था.

यदि ये कंपनियां भारत के खिलाफ मामलों को वापस लेने पर सहमत हो जाती हैं, तो रद्द कर प्रावधान के तहत इनसे जुटाए गए 8,100 करोड़ रुपये रिफंड कर दिए जाएंगे. इनमें ब्याज और जुर्माना शामिल है. इनमें से 7,900 करोड़ रुपये अकेले केयर्न के बकाया है.

थॉमसन ने कहा कि एक बार अंतिम निपटान के बाद हम कुछ ही दिन में सभी मामले वापस ले लेंगे. हम समाधान को तेजी से करना चाहते हैं. सभी मामले वापस लिए जाएंगे और पिछली बातों को भुला दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सब कुछ वापस लिया जाएगा. कोई मामला कायम नहीं रहेगा. इससे पूरा मामला निपट जाएगा.

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