‘तलाशी, जब्ती और इंटरनेशनल टैक्स से जुड़े मामले फेसलेस असेसमेंट के दायर से होंगे बाहर’
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि जांच के लिए छांटे गये सभी आयकर मामलों का पहचान रहित (फेसलेस) आकलन किया जाएगा. इसकी शुरुआत गुरुवार से ही हो गयी है. इसके साथ ही, सीबीडीटी ने यह साफ भी कर दिया है कि छापेमारी और जब्ती तथा अंतरराष्ट्रीय कर से संबंधित मामले फेसलेस आकलन के दायरे में नहीं आएंगे. सीबीडीटी व्यक्तिगत और कॉरपोरेट आयकर के मामलों को देखता है.
नयी दिल्ली : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि जांच के लिए छांटे गये सभी आयकर मामलों का पहचान रहित (फेसलेस) आकलन किया जाएगा. इसकी शुरुआत गुरुवार से ही हो गयी है. इसके साथ ही, सीबीडीटी ने यह साफ भी कर दिया है कि छापेमारी और जब्ती तथा अंतरराष्ट्रीय कर से संबंधित मामले फेसलेस आकलन के दायरे में नहीं आएंगे. सीबीडीटी व्यक्तिगत और कॉरपोरेट आयकर के मामलों को देखता है.
सीबीडीटी ने निर्देश दिया है कि नेशनल ई-असेसमेंट सेंटर द्वारा सभी तरह के असेसमेंट आदेश फेसलेस असेसमेंट स्कीम 2019 के तहत ही जारी किए जाएंगे. सीबीडीटी ने कहा कि इस कदम से यह तय हो जाएगा कि सभी आकलन आदेश फेसलेस असेसमेंट स्कीम 2019 के तहत ही जारी होंगे. सिर्फ केंद्रीय शुल्कों और अंतरराष्ट्रीय कर से संबंधित मामले इसमें शामिल नहीं होंगे.
नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के भागीदार शैलेश कुमार ने कहा कि सीबीडीटी द्वारा जारी प्रशासनिक आदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुरुवार को जारी करदाता चार्टर के क्रियान्वयन का हिस्सा हैं. कुमार ने कहा, ‘इस आदेश का मतलब है कि अब से कर विभाग करदाता का पहचान रहित आकलन करेगा. सिर्फ केंद्रीय शुल्कों (विशेषरूप से छापेमारी और जब्ती) तथा अंतरराष्ट्रीय कर मामले इसमें शामिल नहीं होंगे. इससे आकलन की प्रक्रिया में करदाता-कर अधिकारी के बीच संपर्क में उल्लेखनीय रूप से कमी आएगी.’
उन्होंने कहा कि इससे कर अधिकारी आकलन की प्रक्रिया को तेजी से पूरा कर पाएंगे, क्योंकि वे सिर्फ करदाता द्वारा लिखित में दिए गए ब्योरे पर निर्भर करेंगे और उनकी करदाताओं से व्यक्तिगत बैठक या बातचीत नहीं होगी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय शुल्कों तथा अंतरराष्ट्रीय करों से संबंधित मामलों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. इसकी वजह यह है कि ऐसे मामले काफी जटिल होते हैं. ऐसे में करदाता-कर विभाग का आमने-सामने आना जरूरी होता है.
कुमार ने कहा कि वैसे तो यह स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन देखना होगा कि इसका क्रियान्वयन कैसे होता है? कर अधिकारियों को करदाता के लिखित ब्योरे पर ही निर्भर करना होगा. ऐसे में यह भी महत्वपूर्ण होगा कि करदाता लिखित में जो ब्योरा या जानकारी देता है, वह कितना स्पष्ट है.
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उन्होंने कहा कि यदि करदाता का ब्योरा स्पष्ट नहीं होगा, तो भविष्य में इससे कर मुकदमेबाजी की स्थिति बन सकती है. ऐसे में, करदाता और कर विभाग दोनों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होगी. फेसलेस जांच के तहत एक केंद्रीय कंप्यूटर जांच जोखिम तथा अंतर के हिसाब से जांच के लिए मामलों को छांटेगा और उन्हें अधिकारियों की टीम को आवंटित करेगा.
एक अधिकारी ने बताया कि इस बारे में जारी नोटिसों का जवाब कर कार्यालय आए बिना इलेक्ट्रॉनिक तरीके से देना होगा. इस योजना को सात अक्टूबर 2019 को शुरू किया गया था. उसके बाद से जुलाई, 2020 तक पहले चरण के फेसलेस असेसमेंट के तहत कुल 58,319 मामले जांच के लिए दिए गए हैं.
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Posted By : Vishwat Sen
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