CCI Penalty On Maruti Suzuki भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) ने कार मैन्युफैक्चरर मारुति सुजुकी इंडिया लिमिडेट (MSIL) पर बड़ी कार्रवाई की है. देश की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी मारुति सुजुकी पर सीसीआई (CCI) 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिडेट पर अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिस को लेकर यह भारी भरकम जुर्माना लगाया गया है. रेगुलेटर की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि मारुति सुजुकी द्वारा पैसेंजर्स व्हीकल सेग्मेंट में डीलर्स से संबंधित डिस्काउंट कंट्रोल पॉलिसी लागू करने को प्रतिस्पर्धा नियमों के खिलाफ माना गया है और इसके खिलाफ यह जुर्माना लगाया गया है. सीसीआई भारत का एंटीट्रस्ट रेगुलेटर है. जिसका काम कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा या कॉम्पटिशन को बढ़ावा देना है. सीसीआई यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियों के बीच कॉम्पटिशन में ग्राहकों का हित सधता रहे और उन्हें कोई घाटा न हो.
सीसीआई ने माना है कि मारुति कंपनी ने कॉम्पटिशन के नियमों की अवहेलना की है, इसी के मद्देनजर जुर्माने का ऐलान किया गया है. सीसीआई ने आरोप लगाया है कि मारुति ने डीलर्स पर दबाव बनाकर कारों पर डिस्काउंट तय किए थे. साल 2019 में मारुति के खिलाफ सीसीआई ने जांच शुरू की, जिसमें कारों पर डिस्काउंट को लेकर आरोप लगाए गए थे.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मारुति के दबाव के कारण कार डीलरों में बिक्री के लिए होड़ देखी गई. इससे ग्राहकों को नुकसान हुआ, क्योंकि डीलर बिना किसी के दबाव में अपने हिसाब से दाम और डिस्काउंट तय करते तो कारों की कीमतें कम हो सकती थीं. मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के मामले में सीसीआई ने एक जांच की और कंपनी को निर्देश दिया कि इस तरह के काम से वह खुद को दूर रखे. सीसीआई ने 200 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि को 60 दिन के अंदर जमा करने का निर्देश दिया है.
मारुति सुजुकी पर यह जुर्माना पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में रीसेल प्राइस मेंटीनेंस के नियम में लगाया गया है. सीसीआई ने पाया कि एमएसआईएल का अपने डीलरों के साथ एक समझौता था, जिसके तहत डीलरों को एमएसआईएल की ओर से तय छूट से अधिक ग्राहकों को छूट देने से रोक दिया गया था. यानी कि छूट की जो दर मारुति सुजुकी ने तय किए, उसी दर का पालन डीलर को करना था. गौर हो कि जून, 2021 में मारुति सुजुकी ने अपनी सभी गाड़ियों के दाम बढ़ाए थे, जिसे जुलाई-सितंबर के दौरान अमल में लाया गया. कंपनी ने कहा था इनपुट कॉस्ट या लागत में बड़ी बढ़ोतरी आई है और इस कारण दामों में वृद्धि करना जरूरी हो गया है.