नयी दिल्ली : देश में कोरोना वायरस महामारी के दौरान जारी लॉकडाउन में गरीबों तक खाद्यान्न और दालें पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें जी-तोड़ कोशिशें कर रही हैं. इसी बीच, खबर यह भी है कि केंद्र सरकार ने बीते दिनों पूरे देश में करीब 3 करोड़ राशन कार्डों को रद्द कर दिया है. इस बारे में केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि पूरे देश में राशन कार्डों के डिजिटाइजेशन और आधार सिडिंग के दौरान करीब 3 करोड़ कार्ड फर्जी पाए गए. उन्होंने बताया कि सरकार ने फर्जी पाए गए राशन कार्डों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है.
Also Read: SC ने केंद्र और राज्यों के पाले में डाला पीडीएस से बिना कार्ड वालों को राशन देने का मामला
जून तक देश के गरीबों को पीडीएस के जरिये तीन महीने तक मुफ्त में मिलेंगी दालें : बता दें कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान देश के गरीबों तक खाद्यान्न, दालें और जरूरी सामानों को मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री गरीब योजना (PMGAY) के तहत पीडीएस के जरिये तीन महीने के लिए यानी जून महीने तक प्रत्येक राशनकार्डधारियों को एक किलो मुफ्त दालें मुहैया कराने का फैसला किया है. इसके साथ ही, सरकार देश के जरूरतमंद गरीबों को पीएमजीएवाई के तहत लॉकडाउन की घोषणा के वक्त से ही प्रत्येक परिवार को पांच किलो खाद्यान्न मुफ्त में देने का ऐलान किया है.
दालों के वितरण में राज्य बरत रहे ढिलाई : अभी शुक्रवार को ही केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने मीडिया को यह जानकारी उपलब्ध करायी है कि केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान देश के गरीबों को बांटने के लिए जितनी मात्रा में दालें मुहैया करायी गयी हैं, उनमें से आधी दालें भी ठीक ढंग से गरीबों तक नहीं पहुंच पायी हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से अब तक करीब 1.81 लाख टन दालें राज्य सरकारों को उपलब्ध करायी गयी हैं, ताकि इसका वितरण गरीबों के बीच करवा दिया जाए, लेकिन राज्यों की ढिलाई की वजह से करीब इसकी आधी दाल यानी करीब 53,617 टन ही बांटी गयी है.
आखिर सरकार ने राशन कार्डों को क्यों किया : अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर देश में लागू लॉकडाउन के दौरान सरकार ने करीब 3 करोड़ राशन कार्डों को रद्द करने का फैसला क्यों किया? इसके जवाब में सरकार की ओर से जारी बयान में इस बात का जिक्र किया गया है कि राशन कार्डों का डिजिटाइजेशन करने के लिए उसका आधार से लिंक करना बेहद जरूरी है, ताकि कार्डधारियों के खाते में सरकार की ओर से सीधा पैसा भेजा जा सके और फिर वे उसी पैसे से पीडीएस (जनवितरण प्रणाली) की दुकानों में जाकर राशन और दालों की खरीद कर सकें. अब जबकि सरकार ने देश में बनाये गये तमाम राशन कार्डों को आधार से लिंक कराना शुरू किया, तो उनमें से करीब 3 करोड़ राशन कार्ड फर्जी पाए गए. इसलिए सरकार ने फर्जी पाए गए राशन कार्डों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का फैसला किया.
देश में 80 करोड़ लोगों के पास हैं राशन कार्ड : सरकार की ओर से जारी की गयी जानकारी के अनुसार, देश में करीब 80 करोड़ लोगों के पास राशन कार्ड मौजूद हैं. इन राशन कार्डों के डिजिटाइजेशन कराने के पीछे सरकार का एक मात्र उद्देश्य वैसे प्रवासी और दैनिक मजदूरों तथा नीले रंगधारी श्रमिकों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन उपलब्ध कराना है, जो अक्सरहां रोजगार की तलाश में अपने निवास स्थान से पलायन करते रहते हैं.
अपने कार्ड की जानकारी हासिल करने के लिए आपको करना होगा ये काम : अब अगर आपको इस खबर के बाद अपने राशन कार्ड की बाबत जानकारी हासिल करना है, तो सबसे पहले आपको अपने खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों से संपर्क स्थापित करके कार्ड से संबंधित जानकारी हासिल करनी होगी. खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के सामने आपको अपना राशन और आधार कार्ड दिखाना होगा. अगर आपका राशन कार्ड रद्द हो गया होगा, तो विभाग नया राशन कार्ड बनाएगा और यदि रद्द नहीं हुआ होगा, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है. यह जान लेना भी जरूरी है कि खाद्य आपूर्ति विभाग रद्द किए गए पुराने राशन कार्ड को दोबारा जारी नहीं रख सकता.
एक जून से शुरू होगी नयी योजना : सरकार 1 जून 2020 से ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना को लागू करने जा रही है. इसके तहत पुराने और नये राशन कार्डधारी देश में किसी भी राशन की दुकान से कहीं भी राशन खरीद सकेंगे. केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने पहले ही इसका ऐलान कर दिया है. सरकार की इस योजना को राशनकार्ड पोर्टेबिलिटी स्कीम भी कहा जाता है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.