नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों को होली से पहले करारा झटका दिया है. कोरोना महामारी की वजह से पहले ही से महंगाई की मार झेल रहे कर्मचारियों को मोदी सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की ब्याज दरों में भारी कटौती करने का फैसला किया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफ में कर्मचारियों की मेहनत की कमाई से कटौती करने के बाद जमा राशि पर मिलने वाली ब्याज दर को 8.5 फीसदी से करीब 0.4 फीसदी घटाकर 8.1 फीसदी करने का फैसला किया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर ब्याज दर घटाकर 8.1 फीसदी करने शनिवार को फैसला किया. यह बीते चार दशक से भी अधिक समय में सबसे कम ब्याज दर है, 2020-21 में यह दर 8.5 फीसदी दी. इससे पहले ईपीएफ पर ब्याज दर सबसे कम 8 फीसदी 1977-78 में थी. ईपीएफओ के देश में करीब 5 करोड़ सदस्य हैं.
एक सूत्र ने बताया कि ईपीएफओ की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की शनिवार को बैठक हुई, जिसमें 2021-22 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर 8.1 फीसदी रखने का फैसला लिया गया. सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) ने 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर 8.5 रखने का निर्णय मार्च 2021 में लिया था.
सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने इसे अक्टूबर 2021 में मंजूरी दी थी. अब सीबीटी के हालिया फैसले के बाद 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर की सूचना वित्त मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजी जाएगी. मार्च 2020 में ईपीएफओ ने 2019-20 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर सात साल में सबसे कम 8.5 फीसदी करने का फैसला किया था, जो 2018-19 में 8.65 फीसदी थी.
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