नई दिल्ली : खाने के तेलों की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाना शुरू कर दिया है. केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राज्यों से कहा है कि वे रिटेलर्स को कस्टमर्स के फायदे के लिए सभी प्रकार के खाने वाले ब्रांडेड तेल की कीमतों को प्रमुखता से प्रदर्शित करने का निर्देश दें. इसके साथ ही, थोक व्यापारी, मिल मालिक और तेल रिफाइनिंग मिल के लेवल पर किसी प्रकार की जमाखोरी के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
राज्यों के प्रतिनिधियों और तेल उद्योग के अंशधारकों के साथ बैठक के बाद केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगाने के साथ-साथ खाद्य तेलों के लिए एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) तय करने की संभावना पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि एक बेहतर प्रतिस्पर्धी माहौल में बाजार की ताकतें इन दरों का निर्धारण करेंगी.
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खाद्य सचिव पांडे ने कहा कि सरकार कीमतों को कम करने के लिए किए गए विभिन्न उपायों के प्रभाव का विश्लेषण करने के बाद मौजूदा आयात शुल्क व्यवस्था को लेकर फैसला करेगी. पांडे के अनुसार, सितंबर महीने के अंत तक नई खरीफ फसल के आने, वैश्विक बाजारों में कीमतों में गिरावट और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से खाने के तेल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का मौजूदा ध्यान सप्लाई चेन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर है. आज की बैठक में राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि रिटेलर्स खाने के तेलों की दरों को प्रमुखता से प्रदर्शित करें. उन्होंने कहा कि हमने कुछ कदम उठाए हैं, हम देखेंगे कि कीमतों पर असर कैसा है और फिर उसके बाद सरकार फैसला करेगी.
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