आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर की मुश्किलें और बढ़ गई है. इस मामले में सीबीआई ने कल यानी सोमवार को विशेष अदालत को बताया कि चंदा कोचर ने निजी इस्तेमाल के लिए बैंक के धन का उपयोग किया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चंदा कोचर ने 64 करोड़ रुपये की रिश्वत ली. वहीं ,इस मामले में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक ए लिमोजिन ने वीडियोकॉन ग्रुप फर्म्स को कर्ज मंजूर करने में अनियमितताओं और धोखाधड़ी में चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर के साथ अन्य के खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लेने की मांग की है.
बैंक फंड का किया निजी इस्तेमाल- सीबीआई
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को यहां एक विशेष अदालत को बताया कि आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर ने निजी इस्तेमाल के लिए ऋणदाता के धन का दुरुपयोग किया.सीबीआई ने अदालत को बताया कि मई 2009 और जनवरी 2019 के बीच आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर को बैंक के कोष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
क्रेडिट सुविधाएं को लेकर शाजिस का लगाया आरोप
सीबीआई ने दलील दी कि वह भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों और आईसीआईसीआई बैंक की ऋण नीतियों के अनुसार इस तरह की जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए उत्तरदायी थीं. सीबीआई ने कहा कि उन्होंने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ वीडियोकॉन समूह की कंपनियों के पक्ष में क्रेडिट सुविधाएं स्वीकृत करने या प्राप्त करने की साजिश रची.
पारिश्रमिक के अलावा 64 करोड़ रुपये का लिया रिश्वत- CBI
आपराधिक साजिश के तहत वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 300 करोड़ रुपये का टर्म लोन अगस्त 2009 में चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली निदेशकों की समिति द्वारा स्वीकृत किया गया था. सीबीआई ने दलील दी कि चंदा कोचर ने कानूनी पारिश्रमिक के अलावा 64 करोड़ रुपये की रिश्वत प्राप्त की और इस प्रकार, अपने स्वयं के इस्तेमाल के लिए बैंक के कोष का दुरुपयोग किया. मामले में कोचर दंपत्ति को पिछले साल दिसंबर में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. बाद में, बंबई उच्च न्यायालय ने दंपति को अंतरिम जमानत दे दी थी.
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