Liquor Policy: संशोधित शराब नीति को लेकर गोवा में बवाल मचा हुआ है. विपक्षी पार्टियों सरकार पर शराब नीति में संशोधन करके बाहरी शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. विपक्षी नेता विजय सरदेसाई ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बाहरी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए गोवा के पारंपरिक व्यवसायों को नुकसान पहुंचाया है. सरकार ने नई शराब नीति के तहत बाहरी कंपनियों को मोपा हवाई अड्डे पर शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी है. इससे गोवा के स्थानीय व्यापारियों में असंतोष फैल गया है.
गोवा में शराब नीति में संशोधन से छोटे और स्थानीय कारोबारियों को होगा?
गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए इसे ‘गोवा विरोधी नीति’ करार दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री सावंत पर आरोप लगाया कि वह बाहरी कंपनियों को प्राथमिकता देकर स्थानीय व्यापारियों की आजीविका छीनने का काम कर रहे हैं. विजय सरदेसाई ने कहा कि गोवा में शराब का व्यापार हमेशा से राज्य के लोगों के हाथ में रहा है, जिसमें लाइसेंस प्राप्त करने के लिए 25 साल की स्थानीयता का नियम लागू था. नई नीति के तहत बड़ी कंपनियों भी इस क्षेत्र में कदम रख सकती हैं, जिससे छोटे स्थानीय व्यापारियों के लिए कठिनाइयां बढ़ जाएंगी.
विपक्ष के नेता विजय सरदेसाई ने मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी
गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने गोवा के मुख्य सचिव को एक चिट्ठी लिखकर शराब नीति में किए गए संशोधन पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय गोवा की सामाजिक-आर्थिक संरचना को नुकसान पहुंचा सकता है और हजारों गोवा परिवारों को प्रभावित कर सकता है. उन्होंने एक्स पर अपने एक पोस्ट में कहा कि हम उन कानूनों को स्वीकार नहीं करेंगे, जो स्थानीय लोगों को निकालकर बाहरी लोगों को स्वागत करते हैं. उन्होंने इस नीति को तुरंत वापस लेने की मांग की और शराब के लाइसेंस केवल गोवावासियों को ही दिए जाने की अपील की.
विपक्ष ने सरकार को फैसले पर पुनर्विचार करने का किया आग्रह
नई शराब नीति के कारण प्रमोद सावंत की सरकार पर बाहरी शक्तियों के प्रभाव को बढ़ावा देने के आरोप लगाए जा रहे हैं. विजय सरदेसाई ने अपनी चिट्ठी में यह भी कहा है कि सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और खासकर मोपा हवाई अड्डे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए. उन्होंने लिखा है कि यह मुद्दा सिर्फ शराब उद्योग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे सावंत सरकार की नीतियों का हिस्सा माना जा रहा है. इसमें बाहरी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है और गोवावासियों के पारंपरिक व्यवसायों को खतरे में डाला जा रहा है. गोवावासी अब अपनी आर्थिक अवसरों और सांस्कृतिक धरोहर को बाहरी हस्तक्षेप से बचाने की मांग कर रहे हैं.
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