नयी दिल्ली : केंद्र सरकार के चीफ इकॉनोमिक एडवाइजर केवी सुब्रमण्यन ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज से मुद्रास्फीति में बदलाव की बातों को नकार दिया है. सुब्रमण्यन ने कहा कि आर्थिक पैकेज से मुद्रास्फीति में कोई ज्यादा बदलाव नहीं आयेगा, क्योंकि इस वायरस ने बाजार की मांग को बुरी तरह से प्रभावित किया है. बता दें कि सरकार ने आर्थिक पैकेज कि घोषणा को मझले और छोटे उद्योग को फिर से पटरी पर लाने के तौर पर देखा जा रहा है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने गुुुरूवार को एक साक्षत्कार के दौरान कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने गैर-जरूरी तथा ऐसे ही अन्य सामानों की मांग पर बुरा प्रभाव डाला है, जिसके कारण अपस्फीति की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं. उन्होंने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज के साथ एक अच्छी बात यह है कि इसे इस तरीके से तैयार गया है, जिससे राजकोषीय स्थिति नियंत्रण में रहेगी.
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सुब्रमण्यन ने आगे कहा, ‘कोविड-19 का महत्वपूर्ण अपस्फीति प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि विशेष रूप से गैर-जरूरी वस्तुओं और सेवाओं की मांग में काफी कमी आएगी. इसलिये, इसलिये इसकी आशंका नहीं है कि राजकोषीय घाटा बढ़ने या प्रोत्साहन पैकेज की वजह से मुद्रास्फीति प्रभाव होगा. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित प्रोत्साहन पैकेज बाजार प्रणाली में नकदी डालकर मांग उत्पन्न करेगा जो अर्थव्यवस्था को ऊपर उठायेगा. सरकार ने कोरोना वायरस संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है.
सुब्रमण्यन ने बताया कि इस पैकेज के लिये पैसे जुटाने के लिये सरकार ने पिछले सप्ताह ही बाजार से कर्ज उठाने की सीमा को बजट अनुमान से 54 प्रतिशत बढ़ा दिया है. कुछ अनुमान के हिसाब से बाजार से कर्ज लेने की सीमा को सरकार द्वारा बढ़ाये जाने से राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.8 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.5 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य तय किया गया था.
चीफ इकॉनोमिक एडवाइजर ने प्रस्तावित संरचनात्मक सुधारों के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाल के संबोधन में भूमि, श्रम, कानून और तरलता जैसे कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को छुआ. उन्होंने कहा, ‘भूमि और श्रम वास्तव में ऐसे कारक हैं जो बाजार में सुधार करते हैं. ये ऐसे कारक हैं जिनमें वास्तव में कारोबार करने की लागत को प्रभावित करने की क्षमता है. हाल ही में राज्यों के स्तर पर इनमें बहुत सारे बदलाव देखने को मिले हैं.’
आर्थिक वृद्धि के सवाल पर पर उन्होंने कहा, भारत कोरोनावायरस महामारी के बाद धीमी चाल से वृद्धि के बजाय सीधे तेज वृद्धि के साथ वापसी करेगा. उन्होंने कहा, ‘’यह संभव है कि बहुत अधिक निराशावादी आकलन भी किये जा सकते हैं. मैं निर्णय लेते समय उस पूर्वाग्रह से अवगत होऊंगा. जब आप स्पेनिश फ्लू (1918) के बारे में किये गये शोधों को देखते हैं, जो कि कोरोना वायरस महामारी से अधिक भयावह था, तब भी सीधे तेज गति वाली (वी-शेप्ड) वापसी हुई थी.’
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