China Deflation: चीन में घटती महंगाई का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंचा, ‘डिफ्लेशन’ बना खतरे की घंटी

China Deflation: नवंबर में चीन में उपभोक्ता कीमतों में तीन साल में सबसे तेज गिरावट देखने को मिली है. उपभोक्ता महंगाई दर (CPI) दर नवंबर 2022 और अक्टूबर 2023 के मुकाबले 0.5 फीसदी तक गिर गया है. नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (NBS) ने आकड़े जारी किये हैं.

By Madhuresh Narayan | December 11, 2023 5:07 AM
an image

China Deflation: एक तरफ भारत पूरी दुनिया के लिए इकोनॉमिक ट्रिगर के रुप में काम कर रहा है. वहीं, चीन धीरे-धीरे आर्थिक बर्बादी की तरफ बढ़ता जा रहा है. जो पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. लंबे समय से बूरे वक्त से जूझ रही चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर एक बड़ी खबर आयी है. बताया जा रहा है कि देश में डिफ्लेशन में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में चीन में उपभोक्ता कीमतों में तीन साल में सबसे तेज गिरावट देखने को मिली है. उपभोक्ता महंगाई दर (CPI) दर नवंबर 2022 और अक्टूबर 2023 के मुकाबले 0.5 फीसदी तक गिर गया है. नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (NBS) ने जो आकड़े जारी किये हैं, उसके अनुसार, चीन में डिफ्लेशन की स्थिति पैदा हो चुकी है. इसका सबसे बड़ा कारण कमजोर घरेलू मांग और उससे धीमी पड़ी इकोनॉमिक रिकवरी को बताया जा रहा है. उपभोक्ता महंगाई दर में कमी के कारण ही देश डिफ्लेशन की तरफ जा रहा है.

Also Read: चीन में गिरते रियल एस्टेट सेक्टर की आग बैंकिंग तक पहुंची, मच सकता है कोहराम, आर्थिक मंदी की आहट से सहमा देश

उम्मीद से पांच गुना ज्यादा गिरी महंगाई

चीन में नवंबर के महीने में महंगाई दर में सालाना और मासिक आधार पर महंगाई दर में 0.1 प्रतिशत कम रहने की संभावना जतायी जा रही थी. मगर, नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों ने देश को बड़ा झटका दिया है. एक महीने में 0.5 प्रतिशत की कमी से चीन में बड़ी चिंता है. चीन में महंगाई दर कम होने के कई फैक्टर हैं. इसमें सबसे पहले कच्चे तेल की कीमतों में लागातार गिरावट जारी है. वर्तमान में WTI Crude Oil 71.23 डॉलर प्रति बैरल और Brent Crude Oil 75.84 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है. एक वक्त इसके 100 डॉलर पर पहुंचने की संभावना जतायी जा रही थी. इसके साथ ही, सर्दियों में लोगों कम ट्रैवल करने और सप्लाई चेन के प्रभावित होने को जिम्मेदार ठहराया गया है. इस साल नवंबर में एनर्जी और मुख्य खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर 0.6 प्रतिशत है. हालांकि, देश के देश उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) में लगातार 14वें महीने में गिरावट देखने को मिली है.

Also Read: चीन में फैल रहे माइक्रोप्लाजमा निमोनिया व इन्फ्लूएंजा फ्लू को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, जानें क्या है तैयारी

गिरते रियल स्टेट की आग बैंकिंग तक पहुंची

चीन की रियल एस्‍टेट संकट (Real Estate Crisis) का असर, बैंकिंग सेक्टर पर दिखने लगा है. चीन की सबसे बड़ी वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी (Wealth Management Company) ने साफ कह दिया है कि उसके पास बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं है. कंपनी के ऊपर 64 अरब डॉलर का बकाया है. मगर, अब कंपनी खुद को दिवालिया बता रही है. कंपनी के इस तरह एलान करने से चीन के ऊपर एक नया संकट दिखने लगा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, Zhongzhi Enterprise Group (ZEG) चीन की सबसे बड़ी फंड मैनेजिंग कंपनी है. उसके ऊपर 420 युआन यानी 64 अरब डॉलर की देनदारी है. जबकि, कंपनी के पास कुल 200 युआन की संपत्ति है. इस बारे में कंपनी की तरफ से कहा गया है कि उसका पैसा लंबे समय से डेट और इक्विटी में फंसा हुआ है.

क्या होता है डिफ्लेशन

डिफ्लेशन (Deflation) एक आर्थिक स्थिति है जिसमें मौद्रिक मानदंड कम होता है. यानी सीधे शब्दों में महंगाई कम होती है. यहां पर मानदंड से मतलब मौद्रिक मूल्य या सामान्य स्तर पर मौद्रिक मूल्य की कमी होना है. अन्य शब्दों में, डिफ्लेशन में मौद्रिक मूल्यों में गिरावट होती है और पैसा की पुर्चाश शक्ति बढ़ती है. डिफ्लेशन के परिणामस्वरूप, व्यापारों की मुनाफा में कमी होती है, उत्पादन में घातक कमी होती है, और बेरोजगारी बढ़ सकती है. यह एक आर्थिक मुद्दा है जिसका सामना करने के लिए सरकारें अनुभव करती हैं, और उन्हें ऐसे समयों में आर्थिक पॉलिसी बनाने और क्रियान्वित करने की जरूरत होती है ताकि आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके.

डिफ्लेशन का कारण कई हो सकते हैं.

1. कमजोर आर्थिक गतिविधियां: यदि एक देश की आर्थिक गतिविधियां कमजोर हैं, तो लोग कम खर्च करते हैं और व्यापार घटता है, जिससे मौद्रिक मूल्यों में कमी हो सकती है.

2. उत्पादन में कमी: उत्पादन में कमी भी एक कारण हो सकती है, क्योंकि इससे बाजार में उपलब्ध आदान-प्रदान कम होता है और वस्त्र, सामान्य वस्त्र, और सेवाओं की मांग में कमी हो सकती है.

3. ब्याज दरों में कमी: यदि ब्याज दरें बहुत उच्च हों, तो लोगों को पैसे उधार लेने का उत्साह हो सकता है और उन्हें खर्च करने के लिए कम पैसे हो सकते हैं, जिससे भी मौद्रिक मूल्यों में कमी हो सकती है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Exit mobile version