China Economy: चीन ने जारी किया अपने जीडीपी का रिपोर्ट कार्ड, जानें कैसा है ड्रैगन का हाल

China Economy: चीन अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे मंदी से बाहर आने लगी है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च तिमाही में 5.3 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ी. यह विश्लेषकों के करीब 4.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है. पिछली तिमाही की तुलना में वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत बढ़ी. आइये जानते हैं डिटेल.

By Madhuresh Narayan | April 16, 2024 11:49 AM

China Economy: कोरोना संक्रमण काल के बाद से चीन की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती गयी. देश के रियल स्टेट सेक्टर में बड़ी गिरावट देखने को मिली. इसका दबाव, वहां की बैंकिंग सिस्टम पर आया. इस बीच, महंगाई में तेजी और निर्माण में कमजोरी ने ड्रैगन की चिंता बढ़ा दी. हालांकि, चीन ने अपने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई सख्त कदम उठाये. इसका असर देखने को मिल रहा है. बताया जा रहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था ने पहली तिमाही में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च तिमाही में 5.3 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ी. यह विश्लेषकों के करीब 4.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है. पिछली तिमाही की तुलना में वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत बढ़ी.

2024 में भी रखा बड़ा लक्ष्य

चीन के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन पहली तिमाही में सालाना आधार पर 6.1 प्रतिशत अधिक रहा और खुदरा बिक्री 4.7 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ी. नीति निर्माताओं ने चीन की अर्थव्यवस्था का बल देने के लिए कई राजकोषीय और मौद्रिक नीति उपाय किए हैं. चीन ने 2024 के लिए पांच प्रतिशत का महत्वाकांक्षी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि लक्ष्य रखा है.

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जनसंख्या में गिरावट बनी चिंता

एक तरफ चीन की स्थिति बेहतर हो रही है. दूसरी तरफ, देश की घटती हुई जनसंख्या चिंता का कारण बनी हुई है. साल 2023 में चीन की जनसंख्या में गिरावट आयी है और यह 1.41 अरब से घट कर 1.40 अरब रह गयी है. संयुक्त राष्ट्र के पूर्वानुमान के मुताबिक, चीन की जनसंख्या 2050 तक घट कर 1.31 अरब हो जायेगी. फिर 2100 तक घट कर लगभग 80 करोड़ हो जायेगी. यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है और इसका असर पूरी दुनिया में देखने को मिलेगा. जनसंख्या परिवर्तन से ‘विनाश का चक्र’ पैदा हो सकता है, जहां एक आर्थिक स्थिति नकारात्मक प्रभाव पैदा करती है और फिर दूसरी और उससे अगली. जैसे ही कम उत्पादकता विशेष क्षेत्रों में उत्पादन को प्रभावित करने लगेगी, चीन उन उद्योगों में मांग को पूरा करने के लिए आयात बढ़ाने के लिए मजबूर हो सकता है.

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