नई दिल्ली : रूस द्वारा पिछले साल 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला करना शुरू कर दिया. अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस की मुखालफत कर दी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चीन ने रूस का समर्थन कर दिया. अब रूस का समर्थन करना चीन के लिए भारी साबित हो रहा. उसका विदेशी निवेश और आयात-निर्यात पर प्रभावित हो रहा है. लिहाजा, अब चीन रूस का समर्थन करने के बाद रूठे पश्चिमी देशों को मनाने की योजना बना रहा है. इसका कारण यह है कि यूक्रेन युद्ध में रूस का समर्थन करने से उसका विदेश व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, जिस असर उसकी आर्थिक वृद्धि पर दिखाई दे रहा है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चीन पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को सुधारने का लक्ष्य बना रहा है. खासकर, यूरोप के साथ अपने संबंधों को सुधार पर विशेष जोर दे रहा है, जो यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के दौरान रूस के लिए बीजिंग के समर्थन से आहत हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग की चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के राष्ट्रीय महाधिवेशन के बाद पिछले साल के अंत से ही पश्चिमी देशों के साथ बिगड़े संबंधों में सुधार की नई योजना बना रहा है. सीपीसी के राष्ट्रीय महाधिवेशन में शी जिनपिंग को राष्ट्रपति पद के लिए तीसरी बार निर्वाचित किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सख्त कोविड-19 नीतियों की वजह से भी चीन को राजनीतिक और आर्थिक तौर काफी नुकसान पड़ा है. इसलिए अब वह अपनी तमाम नीतियों में बदलाव करते हुए अपनी विदेश नीति में आक्रामकता को छोड़कर नरम रुख अख्तियार कर रहा है.
ऑयल प्राइस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, अभी हाल ही में दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच के शिखर सम्मेलन में चीन के उप प्रधानमंत्री लियू हे और चीनी अधिकारियों ने पश्चिमी देशों की सरकारों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक नरम विदेश नीति पेश की थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के पूर्व विदेश मंत्री वांग यी की अध्यक्षता में सीपीसी पोलित ब्यूरो का 24 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल यूरोप का दौरा करेगा. इस दौरे में यूरोपीय संघ के शीर्ष नेताओं के साथ ब्रसेल्स में बैठक आयोजित होने की संभावना है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रसेल्स में अपनी छवि को सुधारने के लिए बीजिंग हरसंभव प्रयास कर रहा है. उधर, यूरोपीय संघ के अधिकारियों का कहना है कि ब्रसेल्स चीन के साथ संबंधों को लेकर ‘वेट एंड वाच’ की स्थति में है और अभी तक उसने नीति में किसी प्रकार का बदलाव का संकेत नहीं दिया है, जो मास्को के लिए एक नई रोशनी का संकेत देता हो.
ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन ने बीजिंग का सामना पूरे सबूतों के साथ किया है. इस दौरान बाइडन प्रशासन की ओर से सुझाव भी दिया गया कि कुछ चीनी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियां यूक्रेन में रूस के युद्ध के लिए सहायता प्रदान कर सकती हैं, जो रूस और चीन के संबंधों की प्रगाढ़ता को बढ़ाती हैं.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में यह राय मजबूत होती जा रही है कि चीन कभी रणनीतिक साझेदार नहीं हो सकता. रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में वाशिंगटन और चीन की स्थिति स्पष्ट होने के बाद अब चीन के साथ संबंधों के लिए एक नए फॉर्मूले की तलाश की जा रही है, जो बीजिंग और चीन के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन के राष्ट्रीय हितों को पूरा करेगा.
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