सिंगापुर : क्रिप्टोकरेंसी भारत में मान्य नहीं है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे लेकर कई नियम बनाए हैं. फिर भी भारत में इसके चलन को बढ़ाने को लेकर काफी कवायद की जा रही है. इस बीच, आभासी मुद्रा के जरिए निवेशकों को तगड़ा झटका लगने की खबर है और वह यह है कि सिंगापुर के निवेशकों को पिछले तीन साल के दौरान किसी अन्य धोखाधड़ी की तुलना में फर्जी निवेश योजनाओं में सबसे अधिक नुकसान हुआ है.
सबसे बड़ी बात यह है कि चीन के ठग निवेशकों को महीनों तक अपना दोस्त बनाए रखते हैं और फिर फर्जी स्कीम में निवेश करने का आग्रह करते हैं. इसके बाद उन्हें धीरे से तगड़ा झटका दे देते हैं. निवेशकों को पिछले साल इस तरह की योजनाओं से 19.09 करोड़ सिंगापुर डॉलर का नुकसान हुआ है. विशेष रूप से वे चीनी मूल के ‘पिग-बूचरिंग’ क्रिप्टोकरेंसी घोटाले का सबसे बड़ा शिकार बने हैं. यह आंकड़ा 2019 के 3.69 करोड़ डॉलर का पांच गुना से अधिक है.
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‘द संडे टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह की धोखाबाजी को अंजाम देने वाले निवेशकों से ऐसी योजनाओं में निवेश करने का आग्रह करने से पहले उनके साथ रिश्ता बनाने में महीनों लगाते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंगापुर में हाल में ‘पिग बूचरिंग’ घोटाला सामने आया है. इसमें चीनी शब्द ‘शा झू पान’ का इस्तेमाल किया गया है, जिसका अर्थ वध करने से पहले एक सुअर को मोटा करने से है. इसे अपराधियों ने खुद अपने घोटाले का वर्णन करने के लिए गढ़ा था. जालसाज फर्जी निवेश योजनाओं में निवेश करने का आग्रह करने से पहले लक्ष्य यानी निवेशकों के साथ नजदीकी बनाने में महीनों लगाते हैं.
सबसे बड़ी बात यह है कि ये जालसाल फर्जी स्कीम में निवेश का रिक्वेस्ट करते हैं. सिंगापुर दैनिक ने समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि 2016 में चीन में इस तरह के घोटाले शुरू हुए. उस समय घोटालेबाजों ने पीड़ितों को नकली जुए की वेबसाइटों पर दांव लगाने के लिए तैयार किया. चीनी सरकार ने 2018 में अवैध सट्टेबाजी पर नकेल कसी, लेकिन जालसाजों ने फिर दक्षिण-पूर्व एशिया में चीनी भाषी प्रवासियों को निशाना बनाया. जैसे-जैसे यूरोप और अमेरिका में जनसांख्यिकी का विस्तार हुआ, क्रिप्टोकरेंसी निवेश की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ घोटाले की रणनीति विकसित हुई.
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