CIBIL SCORE: जीवन में जरूरी कामकों को पूरा करने के लिए कभी-कभी लोन लेने की जरूरत पड़ जाती है. कभी निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए आदमी बैंकों से पर्सनल लोन ले लेता है, गाड़ी खरीदने के लिए कार-बाइक लोन और घर बनाने के लिए होम लोन लेता है. अगर आपने पहले से लोन ले रखा और बीच में अचानक आपको कुछ पैसों की जरूरत पड़ गई, तो दोबारा लोन लेने की नौबत आ सकती है. इन दोनों ही स्थिति में आपका सिबिल स्कोर ठीक होना चाहिए. अगर आपने लोन ले रखा है और आपका सिबिल स्कोर खराब हो गया है, तो चिंता करने की बात नहीं है. आप अपने सिबिल स्कोर को रिकवर कर सकते हैं. सिबिल स्कोर को रिकवर करने के कुछ तरीके हैं, जिसे जान लेना बेहद जरूरी है. आइए, जानते हैं.
सिबिल स्कोर क्या है?
यह बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि सिबिल और सिबिल स्कोर क्या है? इन दोनों में अंतर क्या है? दरअसल, क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड को संक्षेप में सिबिल कहते हैं. यह एक क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी है, जो कंपनियों के साथ-साथ आम आदमी की गतिविधियों पर अपनी नजर बनाए रखती है और उसे ट्रैक करती है. इस कंपनी को कंपनियों और आम आदमी से जुड़ी गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लाइसेंस दिया है. सिबिल जब लोन लेते समय कंपनी और आम आदमी की गतिविधियों की रेटिंग तय करती है, उसे ही सिबिल स्कोर कहा जाता है.
सिबिल स्कोर से लोन लेने या चुकता करने की क्षमता कैसे तय होती है?
सिबिल स्कोर या सिबिल रेटिंग किसी व्यक्ति या कंपनी के लोन लेने और उसे चुकता करने की क्षमता बताने का एक पैमाना है. सिबिल स्कोर के ही माध्यम से यह पता चलता है कि कौन कंपनी या व्यक्ति लोन लेने के बाद आसानी से चुकता कर देगा. आम तौर पर सिबिल स्कोर का पैमाना 300 से 900 के बीच निर्धारित किया गया है. अगर किसी व्यक्ति का सिबिल स्कोर 300 से 600 के बीच है, तो इसका अर्थ यह है कि वह लोन को सही तरीके से चुकता नहीं कर रहा है. इसके अतिरिक्त, अगर किसी का सिबिल स्कोर 750 से 900 के बीच है, तो इसका मतलब यह है कि उसका लोन लौटाने का रिकॉर्ड काफी अच्छा है.
सिबिल स्कोर 750 से कम आने पर क्या होता है?
अगर किसी व्यक्ति या कंपनी का सिबिल स्कोर 750 से कम आता है, तो उसे लोन मिलने में कठिनाई हो जाती है या लोन मिलता ही नहीं है. ऐसी नौबत आने पर इस बात की आशंका भी अधिक रहती है कि उसे कोई वित्तीय कंपनी या बैंक की ओर से क्रेडिट कार्ड भी नहीं मिलेगा. मगर, यह हद नहीं है. सिबिल स्कोर खराब होने की स्थिति में उसे सुधारा भी जा सकता है. उसे सुधारने के कई तरीके हैं.
सिबिल स्कोर सुधारने के तरीके
- सिबिल स्कोर सुधारने के लिए सबसे पहले आपको अपने लोन की ईएमआई या क्रेडिट कार्ड के बकाए का भुगतान समय पर करना होगा. इसमें देर होने पर आप पर पैनल्टी लगने के साथ सिबिल स्कोर भी खराब होगा.
- इसके अलावा, सिक्योर्ड लोन और अनसिक्योर्ड लोन के बीच तालमेल बिठाकर चलना होगा. होम लोन और कार लोन सिक्योर्ड लोन और क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड लोन की कैटेगरी में आते हैं. आम तौर पर बैंक और वित्तीय कंपनियां सिक्योर्ड लोन लेने वालों अधिक पसंद करते हैं. अगर आपके पास अनसिक्योर्ड लोन अधिक है, तो सबसे पहले उसका भुगतान करना चाहिए.
-अगर आपके पास क्रेडिट कार्ड है, तो कोशिश करें कि उसका इस्तेमाल कम ही करें. इस्तेमाल करने के बाद रकम का भुगतान निर्धारित बिल डेट के अंदर कर दें या क्रेडिट कार्ड को ऑटो डेबिट मोड में डाल दें, ताकि बिल डेट पर आपका पैसा अपने आप पेमेंट हो जाए. - अगर कोई आपकी जान-पहचान वाला आदमी लोन ले रहा है या ज्वाइंट खाता खुलवाने जा रहा, तो उसका गारंटर कभी मत बनिए. उसके डिफॉल्टर होने पर आपका सिबिल स्कोर खराब हो जाएगा.
-क्रेडिट कार्ड की लिमिट का पूरा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि हर महीने आपके क्रेडिट कार्ड से लिमिट की 30 फीसदी रकम का ही इस्तेमाल हो.
इसे भी पढ़ें: PM Kisan के लाभार्थी हो जाएं तैयार, अक्टूबर में आने वाला 18वीं किस्त का पैसा
सिबिल स्कोर सुधरने में कितना वक्त लगता है?
सिबिल स्कोर में सुधार होने का कोई निश्चित समय निर्धारित नहीं है. यह आपकी आर्थिक स्थिति और गतिविधियों पर भी निर्भर करता है. आम तौर पर सिबिल स्कोर प्रत्येक 30-45 दिनों में अपडेट होता है, लेकिन किसी विशेष परिस्थिति में इसे सुधरने में 4 से 13 महीने भी लग सकते हैं.
इसे भी पढ़ें: जान लेंगे SIP का 15x15x15 फॉर्मूला तो हर महीने पेंशन 1 लाख, 1 करोड़ अलग से
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.