नई दिल्ली : अगर आप लालटेन की रोशनी या कैंडल लाइट में डिनर करने के शौकीन हैं, तो अब आप इसे अपनी आदत में शुमार कर लें और घर में अभी से ही दो-चार लालटेन और 10-20 लीटर किरासन तेल खरीदकर रख लें. क्योंकि, भारत में अगले छह महीने तक बिजली की किल्लत रहने की आशंका जाहिर की जा रही है. इसका कारण यह है कि कोयले की कमी की वजह से देश में बिजली बनाने वाले कई थर्मल पावर प्लांट से उत्पादन ठप हो जाएगा, जिसका असर आम जनजीवन पर पड़ना लाजिमी है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोयले से चलने वाले 135 थर्मल पावर प्लांट्स में से आधे से ज्यादा में सितंबर के आखिरी दिनों में औसतन चार दिन का कोयला ही बचा था. 16 में तो बिजली बनाने के लायक भी कोयला बचा ही नहीं था. इसके विपरीत अगस्त की शुरुआत में इन प्लांट्स के पास औसतन 17 दिनों का कोयला भंडार था. कोयले की इतनी कमी बीते कई बरसों में नहीं देखी गई.
उधर, बिजली संकट पर सरकार के ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में बताया कि मैं नहीं जानता कि आने वाले पांच से छह महीने में भी हम ऊर्जा के मामले में आरामदायक स्थिति में होंगे. 40 से 50 गीगावॉट की क्षमता वाले थर्मल प्लांट्स में तीन दिन से भी कम का ईंधन बचा है. सरकारी मंत्रालय कोल इंडिया और एनटीपीसी लिमिटेड जैसी सरकारी कोयला कंपनियों से कोयले के खनन को बढ़ाने के लिए काम कर रही है, ताकि मांग के मुताबिक बिजली बन सके.
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इसके विपरीत केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने चीन में कोयले की कमी और भारत में कोयले की बढ़ती मांग की मीडिया रिपोर्ट पर मंगलवार को कहा कि देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है, जिससे सभी मांगों की पूर्ति की जा सकती है. उन्होंने कहा कि कोयले की मांग बढ़ी है और हम इस मांग को पूरा कर रहे हैं. हम मांगों में और वृद्धि को पूरा करने की स्थिति में हैं. फिलहाल, हमारे पास कोयले का जो स्टॉक है, वह 4 दिनों तक चल सकता है. चीन की तरह भारत में कोयला संकट नहीं है.
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