Retail inflation in september 2020 : देश में आलू, टमाटर, प्याज और साग-सब्जी समेत खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों ने आम उपभोक्ताओं का दम निकाल रखा है. खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने का ही नतीजा है कि सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.34 फीसदी पर पहुंच गई. हालांकि, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर अगस्त में 6.69 फीसदी और सितंबर 2019 में यह 3.99 फीसदी थी.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में 10.68 फीसदी रही, जो अगस्त में 9.05 फीसदी थी. यह जनवरी 2020 के बाद से मुद्रा स्फीति का उच्चतम स्तर है.आंकड़ों के अनुसार, खाद्य सामग्री की कीमतों में उछाल देखा गया है.
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नीतिगत दर (Policy Rates) पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रस्फीति पर गौर करता है. आरबीआई ने 9 अक्टूबर को अपने बयान में कहा था कि सितंबर में मुद्रास्फीति में इजाफे की संभावना है और वित्तीय वर्ष के तीसरे (अक्टूबर से दिसंबर) और चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च 2021) में इस मामले में राहत मिल सकती है.
पिछले शक्रवार को रेपो रेट की घोषणा करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति में आया मौजूदा उभार अस्थाई है. कृषि परिदृश्य उज्जवल दिख रहा है. कच्चा तेल की कीमतें दायरे में रहने की उम्मीद है. उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य के दायरे में आ जाने का अनुमान है.
Posted By : Vishwat Sen
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