नई दिल्ली : देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान कोरोना की दूसरी लहर को रोकने में नाकाम रहने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं. इस बीच खबरें यह भी आ रही हैं कि दुनिया की बड़ी दवा कंपनियों के इशोर पर भारत की छवि को खराब करने के लिए इन मीडिया संस्थानों की ओर से साजिश रची जा रही है. ईयू रिपोर्ट की एक खबर के अनुसार, दवा कंपनियों की मजबूत लॉबी यह नहीं चाहती कि कोई विकासशील देश कम कीमत पर दुनिया के देशों को कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध कराए. ऐसा करने से उनका वर्चस्व पर खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है.
बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स की न्यूज वेबसाइट ईयू रिपोर्टर ने लिखा है कि संकट के ऐसे दौर में जब भारत को सहायता, सहानुभूति और साझेदारी की सख्त जरूरत है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल द लांसेट को राजनीतिक लेखों और व्यावसायिक विचारों से बचना चाहिए.
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में लगातार भारत के खिलाफ बिना किसी तथ्यों के आधार पर नकारात्मक खबरें और लेखों को प्रकाशित किया जा रहा है, जिसमें भारत के टीकाकरण अभियान की क्षमता को कमजोर दिखाकर बाजार में टीकों की कमी पैदा की जा सके और फिर उसका आर्थिक लाभ उठाया जाए.
मेडिकल जर्नल द लांसेट की ओर से लेखों के जरिए दुनिया भर की बड़ी दवा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा ही कुत्सित प्रयास किया जा रहा है, ताकि दुनिया की बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनियों के एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सके. लांसेट ने बिना किसी तथ्य के ही अपने विश्लेषणों के जरिए निष्कर्ष निकालने का प्रयास किया है. कई विशेषज्ञों ने भी लांसेट की इस हरकत पर सवाल उठाए हैं.
मेडिकल जर्नल द लांसेट की वेबसाइट के अनुसार, उसकी एशिया संपादक चीनी मूल की नागरिक हेलेन हुई वांग हैं और उन्होंने ही भारत विरोधी लेख को लिखा है. अब तो कहा यह भी जाने लगा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयियस की तरह मेडिकल जर्नल द लांसेट की एशिया की संपादक हेलेन हुई वांग कहीं चीन के इशारे पर तो ऐसा नहीं कर रही हैं. हेलेन हुई वांग मूलत: चीन की राजधानी बीजिंग की रहने वाली हैं.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, द लांसेट के आठ मई वाले अंक के संपादकीय में बीजिंग निवासी हेलेन ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए लिखा है कि उनका ध्यान ट्विटर पर अपनी आलोचना को दबाने पर ज्यादा और कोविड-19 महामारी पर काबू पाने पर कम है. वांग ने अपने लेख में लिखा कि ऐसे मुश्किल समय में मोदी की अपनी आलोचना और खुली चर्चा को दबाने की कोशिश माफी के काबिल नहीं है.
लेख में कहा गया है कि इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के अनुमान के मुताबिक भारत में एक अगस्त तक कोरोना महामारी से होने वाली मौतों की संख्या 10 लाख तक पहुंच सकती है. लेख के मुताबिक कोरोना के खिलाफ शुरुआती सफलता के बाद से सरकार की टास्क फोर्स अप्रैल तक एक बार भी नहीं मिली.
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Posted by : Vishwat Sen
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