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सब्जी और किचन आइटम की कीमतों में नरमी से उपभोक्ताओं ने ली राहत की सांस, फरवरी में 6.58 फीसदी पर आयी खुदरा मुद्रास्फीति

सब्जी, किचन के सामान और खाने-पीने की चीजों की कीमतों में गिरावट की वजह से फरवरी महीने के दौरान भारत के आम उपभोक्ताओं ने राहत की सांस ली है. फरवरी के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 6.58 फीसदी पर आ गयी.

By KumarVishwat Sen | March 12, 2020 9:56 PM

नयी दिल्ली : सब्जियों और रसोई की अन्य सामानों की कीमतों में नरमी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में घटकर 6.58 फीसदी पर आ गयी. पिछले छह महीने में पहली बार मुद्रास्फीति में नरमी दर्ज की गयी है. सरकार की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में 6.58 फीसदी रही. खुदारा मुद्रास्फीति जनवरी 2020 के 7.59 फीसदी और फरवरी 2019 में 2.57 फीसदी थी. सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्राफीति चार फीसदी के इर्द-गिर्द रखने की जिम्मेदारी दी है. इसमें ज्यादा से ज्यादा दो फीसदी तक घट-बढ़ को स्वीकार्य माना गया है.

फरवरी में मांस और मत्स्य क्षेत्र की महंगाई दर 10.2 फीसदी रही, जो जनवरी में 10.5 फीसदी थी. अगस्त, 2019 के बाद खुदरा मुद्रास्फीति में यह पहली बार नरमी का रुख रहा. सब्जियों की महंगाई दर फरवरी में घटकर 31.61 फीसदी पर आ गयी. जनवरी में यह 50.19 फीसदी थी. दालों और अंडों की कीमत में भी नरमी रही.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी, 2020 में खाद्य क्षेत्र की महंगाई घटकर 10.81 फीसदी रही, जो जनवरी में 13.63 फीसदी थी. हालांकि, ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति की दर जनवरी के मुकाबले बढ़कर दोगुनी यानी 6.36 फीसदी हो गयी. आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण अंचलों में मुद्रास्फीति की दर इस दौरान 10.37 फीसदी रही, जबकि शहरी इलाकों में यह 11.51 फीसदी रही. दोनों ही मामलों में कीमतों में वृद्धि जनवरी के मुकाबले नीची रही.

रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को तय करने में खुदरा मुद्रास्फीति का बड़ा प्रभाव होता है. मौद्रिक नीति समिति की फरवरी में हुई पिछली बैठक में उसने नीतिगत दरों को 5.15 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था. मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेस के प्रमुख (शोध-मुद्रा) राहुल गुप्ता ने कहा कि फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति में कमी मुख्य तौर पर खाद्य कीमतों में नरमी की वजह से दर्ज की गयी है.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर अनिश्चिता बनी हुई है. हमें उम्मीद है कि रिजर्व बैंक जल्द ही कोई एहतियाती कदम उठाएगा या बाद में अप्रैल की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती करेगा. सब्जियों और रसोई की अन्य सामानों की कीमतों में नरमी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में घटकर 6.58 फीसदी पर आ गयी. पिछले छह महीने में पहली बार मुद्रास्फीति में नरमी दर्ज की गयी है.

सरकार की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में 6.58 फीसदी रही. खुदारा मुद्रास्फीति जनवरी 2020 के 7.59 फीसदी और फरवरी 2019 में 2.57 फीसदी थी. सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्राफीति चार फीसदी के इर्द-गिर्द रखने की जिम्मेदारी दी है. इसमें ज्यादा से ज्यादा दो फीसदी तक घट-बढ़ को स्वीकार्य माना गया है.

फरवरी में मांस और मत्स्य क्षेत्र की महंगाई दर 10.2 फीसदी रही, जो जनवरी में 10.5 फीसदी थी. अगस्त, 2019 के बाद खुदरा मुद्रास्फीति में यह पहली बार नरमी का रुख रहा. सब्जियों की महंगाई दर फरवरी में घटकर 31.61 फीसदी पर आ गयी. जनवरी में यह 50.19 फीसदी थी. दालों और अंडों की कीमत में भी नरमी रही.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी, 2020 में खाद्य क्षेत्र की महंगाई घटकर 10.81 फीसदी रही, जो जनवरी में 13.63 फीसदी थी. हालांकि, ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति की दर जनवरी के मुकाबले बढ़कर दोगुनी यानी 6.36 फीसदी हो गयी. आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण अंचलों में मुद्रास्फीति की दर इस दौरान 10.37 फीसदी रही, जबकि शहरी इलाकों में यह 11.51 फीसदी रही. दोनों ही मामलों में कीमतों में वृद्धि जनवरी के मुकाबले नीची रही.

रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को तय करने में खुदरा मुद्रास्फीति का बड़ा प्रभाव होता है. मौद्रिक नीति समिति की फरवरी में हुई पिछली बैठक में उसने नीतिगत दरों को 5.15 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था. मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेस के प्रमुख (शोध-मुद्रा) राहुल गुप्ता ने कहा कि फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति में कमी मुख्य तौर पर खाद्य कीमतों में नरमी की वजह से दर्ज की गयी है.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर अनिश्चिता बनी हुई है. हमें उम्मीद है कि रिजर्व बैंक जल्द ही कोई एहतियाती कदम उठाएगा या बाद में अप्रैल की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती करेगा.

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