नौकरी की गारंटी मांगना 103 एयर होस्टेस को पड़ा महंगा, जर्मन एयरलाइंस लुफ्थांसा ने दिखाया बाहर का रास्ता

लुफ्थांसा के एक प्रवक्ता ने दिये एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के गंभीर वित्तीय प्रभाव के चलते एयरलाइन के लिए पुनर्गठन के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है. कंपनी दिल्ली स्थित उन एयर होस्टेस को सेवा विस्तार नहीं दे सकती है, जो तय अवधि के अनुबंध पर हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2021 3:22 PM
  • लुफ्थांसा में 15 साल से अधिक समय से अनुबंध पर कर रहे थे काम

  • कंपनी ने दो साल तक बिना वेतन के अवकाश पर जाने का दिया था विकल्प

  • लुफ्थांसा के प्रवक्ता ने एयर होस्टेस की सेवा समाप्त किए जाने की पुष्टि की

मुंबई : जर्मनी की एयरलाइन लुफ्थांसा ने भारत में रखे गए 103 एयर होस्टेस को ‘नौकरी की गारंटी’ मांगने पर सेवा से निकाल दिया है. कंपनी ने उन्हें दो साल तक बिना वेतन के अवकाश पर जाने का विकल्प दिया था. मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ये कर्मचारी एयरलाइन के साथ एक निश्चित अनुबंध पर काम कर रहे थे और इनमें से कुछ 15 साल से अधिक समय से कंपनी के साथ थे.

लुफ्थांसा के एक प्रवक्ता ने दिये एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के गंभीर वित्तीय प्रभाव के चलते एयरलाइन के लिए पुनर्गठन के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है. कंपनी दिल्ली स्थित उन एयर होस्टेस को सेवा विस्तार नहीं दे सकती है, जो तय अवधि के अनुबंध पर हैं. हालांकि प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि कितने कर्मचारियों को काम से निकाला गया है.

प्रवक्ता के अनुसार, कई सारे कर्मचारियों की सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि कंपनी उनके साथ अलग-अलग समझौते कर पाने में सफल रही है. बयान में कहा गया कि लुफ्थांसा को यह पुष्टि करते हुए दुख हो रहा है कि वह दिल्ली स्थित उन एयर होस्टेस की सेवाओं को विस्तार नहीं दे रही है, जो तय अवधि के लिए नौकरी पर रखे गये थे.

बयान में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के गंभीर वित्तीय प्रभाव ने लुफ्थांसा के सामने एयरलाइन के पुनर्गठन के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है. इन उपायों में भारत जैसे अहम अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ-साथ जर्मनी और यूरोप में भी कर्मचारियों से संबंधित किये गये उपाय शामिल हैं.

कंपनी ने कहा कि उसने मौजूदा स्थिति को देखते हुए 2025 तक की दीर्घकालिक योजनाओं में विमानों की संख्या में 150 की कटौती करनी होगी. इससे केबिन क्रू के कर्मियों की संख्या पर भी असर होगा. इन सबके अतिरिक्त विभिन्न देशों की सरकारों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर लगायी गयी पाबंदियों से केबिन क्रू के कर्मचारियों के पास खास काम नहीं बचा है.

Also Read: मुंबई में उतरने पर लुफ्थांसा के विमान के टायरों को पहुंचा नुकसान, बाल-बाल बचे 160 से ज्यादा यात्री

Posted By : Vishwat Sen

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version