कोरोना संकट : अपने निवेश और खर्च का रखें पूरा ध्यान

पूरी दुिनया पर आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा रहा है. बाजार में गिरावट है. नकदी की समस्या पैदा हो सकती है. ऐसे में अपने जरूरी खर्चों व निवेश पर नजर रखना भी जरूरी हो गया है.

By Pritish Sahay | March 23, 2020 1:49 AM

पूरी दुिनया पर आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा रहा है. बाजार में गिरावट है. नकदी की समस्या पैदा हो सकती है. ऐसे में अपने जरूरी खर्चों व निवेश पर नजर रखना भी जरूरी हो गया है. वॉरेन बफेट का एक कथन याद आता है- जब लोग डरें हों, तो आपको लालची होना चाहिए और जब लोग लालची हों, तो आपको डरना चाहिए.

पू री दुनिया पर कोरोना वायरस का कहर जारी है. चीन से शुरू हुआ यह संक्रमण अब तक 182 देशों में फैल चुका है. दस हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. कई देशों ने लॉकडाउन घोषित कर दिया है. देश में भी कई प्रभावित शहरों को लॉकडाउन किया जा रहा है.

सारी व्यापारिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो रही है. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा आ चुका है. निवेशकों में डर इस तरह आ चुका है कि वे दुनिया भर के बाजारों में खरीदारी कर रहे हैं जिससे हर तरफ गिरावट आ रही है. हजारों कंपनियों के शेयर अपने तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गये हैं. ऐसे में जहां एक ओर कोविड-19 वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपनी सेहत का ध्यान रखना और सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. वहीं, यह भी महत्वपूर्ण है कि हम पर्सनल फाइनेंस के मोर्चे पर अपनी तैयारी कर लें जिससे किसी भी तरह की मुश्किल की घड़ी का सामना कर सकें.

अपने रोजाना के खर्च की करें समीक्षा

ऐसी स्थिति में अपने गैर-जरूरी खर्चों को सीमित भी कर सकते हैं. पर्याप्त बचत आनेवाले दिनों में मदद करेगा. बड़े खर्चों को रोकना भी जरूरी है. इसलिए अपने रोजाना के खर्च की समीक्षा करें और खरीदारी को काबू में रखें.

हेल्थ पॉलिसी को रिव्यू करें

कोरोना वायरस को जिस समय तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित नहीं किया था, उस समय तक उसके इलाज का खर्च ज्यादातर हेल्थ पॉलिसी में कवर होता था. लेकिन एलान होने के बाद जिन पॉलिसी में महामारी की कवरेज को बाहर रखा गया है, वे ऐसे मामलों से जुड़े क्लेम को नहीं मान सकते. ऐसे में आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के दस्तावेजों को पढ़िए और उसमें कवरेज की लिस्ट को चेक करें और कंपनी से भी बात कर सकते हैं.

इमरजेंसी फंड को बढ़ाएं

कोरोना की महामारी ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है. इसका असर लंबे समय तक रह सकता है. ऐसे में, अपने इमरजेंसी फंड को बढ़ाना जरूरी है, ताकि आपको नकदी की समस्या का सामना नहीं करना पड़े. इमरजेंसी फंड में कम से कम छह महीने के खर्च की राशि होनी चाहिए. आप चाहें तो जरूरत और जिम्मेदारियों के हिसाब से इसे बढ़ा भी सकते हैं. अगर इस महामारी की वजह से भविष्य में कोई नुकसान होता है, तो आपका इमरजेंसी फंड काम आयेगा.

लोन का डिजिटल भुगतान करें

अगर आपके पास कोई लोन है और आप अपनी इएमआइ का ऑफलाइन भुगतान करते हैं, तो उसे ऑनलाइन करना शुरू करें. ऐसा इसलिए कि अगर आपका बैंक अपने ऑफिस को बंद करता है, तो इससे लेट फीस या लोन डिफॉल्ट की परेशानी हो सकती है. सबसे अच्छा विकल्प अपने सेविंग्स या करंट अकाउंट से इएमआइ का ऑटो-डेबिट सेट करना है जिससे कोई परेशानी न हो.

निवेश को औसत करने का है समय

इक्विटी एक लॉन्ग टर्म एसेट क्लास है, तो इसलिए हमें हमें शॉर्ट टर्म के बारे में नहीं सोचना चाहिए. अगर इस गिरावट में हम अपने निवेश को औसत (एवरेजिंग) न करें, तो एक अच्छा रिटर्न बनाना मुश्किल होगा.

संकट खत्म होगा तो आयेगी तेजी

चूंकि इस महामारी की शुरुआत चीन से हुई थी लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि चीन धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है. साथ ही साथ कोरोना वायरस के टीके के खोज के लिए अरबों डॉलर खर्च किये जा रहे हैं. यह तो निश्चित है कि मानवता हर संकट से उबर आती है. इसलिए इस गंभीर संकट को भी हम पार कर लेंगे. बाजार फिर सामान्य होगा और उसके कारोबार में भी तेजी आयेगी.

अब भारतीय बाजार के आकलन पर गौर करें

कच्चे तेल की कीमत 25 डॉलर प्रति बैरल है ( तेल की कीमत में हर एक डॉलर की गिरावट के लिए भारत को 11,250 करोड़ रुपये का लाभ होता है.

मार्केट कैप जीडीपी रेशियो 56% पर है. बाजार का पी/ई 18 और पी/बी 2.4 गुना है. इस मूल्यांकन पर बाजार 2008 में उपलब्ध था और उसके बाद कभी नहीं.

रेपो रेट अभी भी 5.15% पर है. अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में जो शून्य ब्याज दरों पर पहुंच चुके हैं और उनके पास अधिक स्कोप नहीं बचा है, आरबीआइ के लिए दरों में कटौती करने की बड़ी गुंजाइश है.

भारत दुनिया को आइटी सेवाएं और फार्मास्यूटिकल आपूर्ति प्रदान करने वाला एक अग्रणी देश है. इस वायरस के साथ कंपनियां अपने बजट आवंटन में वृद्धि करेंगी, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा .

अब बहुत सारी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कारोबार व निर्माण कार्य को चीन से बाहर लेकर जायेंगी, जिसका भारत एक प्रमुख दावेदार है.

एसआइपी जारी रखें : उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए लंबी अवधि के लिए किये गये निवेश को जल्दबाजी में बंद न करें. एसआइपी के माध्यम से निवेश इसलिए किया जाता है, ताकि हम बाजार के उतार-चढ़ाव से विचलित न हों. एसआइपी हमेशा एक लंबे समय के लिए अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए किया जाता है.

(निवेश सलाहकार नीरज सिन्हा, पटना से बातचीत के आधार पर)

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