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हर्ड इम्युनिटी हासिल करने का सबसे कारगर उपाय है कोरोना वैक्सीन, जानिए क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट

Coronacirus vaccine : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व महानिदेशक डॉ वीएम कटोच के अनुसार, कोरोना संक्रमितों में हर्ड इम्यूनिटी वैक्सीन के जरिये ही हासिल किया जा सकता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 2, 2021 10:04 PM

Coronacirus vaccine : भारत में कोरोना वायरस का पहला केस जनवरी 2020 में सामने आया था और धीरे-धीरे इसने पूरे देश में पैर पसार लिया. उस समय यह वायरस नया था, इसलिए इस नई बीमारी का हमारे पास कोई न कोई दवा थी और न ही इलाज. हम केवल इतना ही जानते थे कि यह बहुत संक्रामक वायरस है और जनसमुदाय में तेजी से फैल रहा है. इसकी शुरुआत चीन से हुई और भारत आने से पहले यह दुनिया के कई देशों में तबाही मचा चुका था. आज एक साल बाद जनवरी 2021 में हमने इस वायरस पर काबू पाने को लेकर बड़ी कामयाबी हासिल की है और 1 जनवरी को हमने कोरोनो की पहली वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.

वैक्सीन के जरिए हासिल की जा सकती है हर्ड इम्युनिटी

आज जब हमारे देश में कोरोना की पहली वैक्सीन की मंजूरी दे दी गई है और सरकार बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की तैयारी में जुटी है, तब इस कोरोना वैक्सीन को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ अपना यही सुझाव दे रहे हैं कि कोरोना संक्रमितों में हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए सबसे बेहतर साधन वैक्सीन ही है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व महानिदेशक डॉ वीएम कटोच के अनुसार, कोरोना संक्रमितों में हर्ड इम्यूनिटी वैक्सीन के जरिये ही हासिल किया जा सकता है.

देश में बढ़ाई गई परीक्षण क्षमता

डॉ कटोच का कहना है कि कोरोना महामारी हमारे देश की सघन आबादी में कहर बरपा सकती थी. इसी कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुंरत कार्रवाई की. देश के राजनीतिक नेतृत्व ने केंद्र और राज्य के स्तर पर स्वास्थ्य अधिकारियों, हमारे डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा पेशेवरों, पुलिस और अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स (सरकारी एवं गैर-सरकारी) को समय और जरूरत के अनुरूप प्रभावी ढंग से वायरस के प्रसार को नियंत्रण में करने के लिए उपयोग किया गया. हमने विशेष कोविड देखभाल केंद्र, अस्पताल और गहन देखभाल इकाइयां स्थापित की. हमने पीपीई किट की कमी को पूरा करने के लिए कदम उठाए, ये हमारे स्वास्थ्य कर्मचारियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को संक्रमण से बचाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण था. हमने अपनी परीक्षण क्षमता को बढ़ा दिया है.

वैक्सीन को लेकर लोगों को करना होगा जागरूक

उन्होंने कहा कि हम फिर से एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. अब वायरस को हर कोई जान गया है. व्यापक पैमाने पर उसकी रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन हमें यह पता है कि यह वायरस इतना जल्दी जाने वाला नहीं है. कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन यूनाइटेड किंगडम में आया, जिसकी बहुत तेजी से फैलने की संभावना है. इसको लेकर कई देश तनाव में हैं. हमारे देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो अभी तक वायरस के संपर्क में नहीं आएं हैं. हम नहीं जानते कि आने वाले महीनों में वायरस कैसे व्यवहार करने वाला है ? यह वापस आ सकता है कि नहीं. मैं इतना कहना चाहूंगा कि हमें अपने लोगों को वायरस और वैक्सीनों के बारे में सूचित और शिक्षित करना चाहिए.

कैसे हासिल किया जा सकता है हर्ड इम्युनिटी

डॉ कटोच ने कहा कि कोरोना महामारी को तभी खत्म किया जा सकता है, जब लोग रोग पैदा करने वाले रोगजनक के प्रतिरोधी हो जाएं. हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के दो तरीके हैं. पहला यह कि रोगजनक के संपर्क में आने पर शरीर में एंटीबॉडी/इम्युनिटी विकसित हो. दूसरा, वैक्सीनेशन के जरिये शरीर में एंटीबॉडी या इम्युनिटी विकसित जाए. दरअसल, हर्ड इम्युनिटी के लिए टीका लगाना एक शक्तिशाली तरीका रहा है. हमने चेचक के खिलाफ टीके का उपयोग करके इस पर काबू पाया है.

वैक्सीन को लेकर भरोसा पैदा करना बेहद जरूरी

डॉ कटोच ने कहा, ‘यह बेहद जरूरी है कि हम लोगों को वायरस और वैक्सीन के बारे में जानकारी दें, ताकि वैक्सीन को लेकर उनमें जागरूकता और भरोसा पैदा किया जा सके. दरअसल, महामारी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है. मुझे खुशी है कि हमारे वैज्ञानिकों ने इतने कम समय में इतने सारे वैक्सीन विकसित किए हैं.’

मानदंडों पर खरा उतरने पर वैक्सीन का होगा इस्तेमाल

उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा यकीन है कि वैज्ञानिकों ने टीकों की सुरक्षा की जांच करने के लिए सभी जरूरी मानकों का उपयोग किया है. तभी इसका विकास हुआ. हमारे नियामक इन टीकों को उपयोग के लिए तभी पास करेंगे, जब वे निर्धारित मानदंडों के अनुसार उनकी सुरक्षा और प्रभावकारिता के बारे में आश्वस्त हों जाएंगे.’

कुछ वैक्सीन का हल्का होता है साइड इफेक्ट

डॉ कटोच ने कहा कि देश के लोगों को शिक्षित करना होगा कि एक टीका कैसे काम करता है ? वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन यानी टीका ही क्यों जरूरी है ? कुछेक टीका का हल्का दुष्प्रभाव हेाता है. यदि किसी को अधिक हो, तो वैसी स्थिति में लोगों को क्या करना चाहिए ? कहां जाकर उपचार करवाना चाहिए. जब हम उन्हें जरूरी वैज्ञानिक प्रक्रिया को समझाएंगे, तो वे बेहतर समझेंगे.

उन्होंने कहा कि लोगों को यह भी बताना चाहिए कि कोरोना वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए क्यों अनुमति मिली? यदि इसमें छह महीने या अधिक समय लगेगा, तो उसका क्या परिणाम हो सकता है. हमें पूरी उम्मीद है कि जब हम लोगों को पूरी जानकारी देंगे, तो वे पूरी तरह से आश्वस्त होकर टीकाकरण अभियान में सहयोग देंगे.

वैक्सीन को प्रचारित-प्रसारित करना जरूरी

उन्होंने वैक्सीन के बारे में पूरी जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए हमें सूचना सामग्री को हिन्दी-अंग्रेजी सहित तमाम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित करना चाहिए. सूचना के हर माध्यम और मंच से हम इसका प्रचार-प्रसार करें। ताकि समाज के विभिन्न वर्गों को आसानी से समझ में आ जाए। विशेष रूप से, हमें पंचायतों और गांवों के स्तर पर भी लोगों के साथ अपने संवाद को मजबूत करने की आवश्यकता है.

वैक्सीन के प्रभाव और दुष्प्रभाव की निगरानी जरूरी

उन्होंने कहा कि हमें वैक्सीन को इस गति से रोल आउट करना चाहिए, जिस पर हम इसके प्रभावों और दुष्प्रभावों की निगरानी कर सकें. साथ ही अपनी आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उपाय कर सकें. हमारे दवा निर्माण सुरक्षा व्यवस्था में पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है.

वैक्सीनेशन को लेकर बना ली गई है कार्ययोजना

उन्होंने कहा कि हम आबादी के हिसाब से काफी बड़ा देश हैं. यहां की करीब 1.3 अरब आबादी को केवल एक टीकाकरण अभियान के तहत वैक्सीन लगाना आसान नहीं है, लेकिन मैं जानता हूं कि भारत एक संकल्पित देश है. हमारा निश्चय दृढ़ है. हर स्तर पर बेहतर तैयारी की जा रही है. सरकार की ओर से कार्ययोजना बना ली गई है. हमारे पास पहले के टीकाकरण अभियान के पर्याप्त अनुभव हैं. हमने जब भी कुछ हासिल करना चाहा है, तब हमें सफलता जरूर मिली है.

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Posted By : Vishwat Sen

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