कोराना वायरस के गंभीर संकट के बाद भी वैश्विक अर्थव्यवस्था का बड़ा केंद्र बनेगा भारतः स्टार्ट अप चैंबर
नवोन्मेषी उद्योगों के लिये बने स्टार्ट अप चैंबर का मानना है कि चीन में कोराना वायरस के गंभीर संकट से उत्पन्न परिस्थतियों के मद्देनजर भारत में विभिन्न क्षेत्रों में नए उद्यमों के लिए बड़े अवसर हैं .
नयी दिल्लीः नवोन्मेषी उद्योगों के लिये बने स्टार्ट अप चैंबर का मानना है कि चीन में कोराना वायरस के गंभीर संकट से उत्पन्न परिस्थतियों के मद्देनजर भारत में विभिन्न क्षेत्रों में नए उद्यमों के लिए बड़े अवसर हैं . साथ ही कहा कि देश वैश्विक विनिर्माण अर्थव्यवस्था के बड़े केन्द्र के रूप में उभर सकता है. ‘चैंबर आफ स्टार्टअप्स’ के महासिचव ज्योतिर्मय जैन ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा है कि यह समय भारत के उद्योगों को कच्चे माल के लिये चीन पर अपनी निर्भरता कम करने का भी अवसर है. इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारतीय उद्यमियों को दवा, खिलौना, रसायन, टायर और सौर ऊर्जा पैनल उद्योग में निवेश के लिये आगे आना चाहिये.
जैन ने कहा, ‘दुनिया का चीन से विश्वास डिग रहा है. आने वाले समय में भारत दुनिया के लिए बड़े आकर्षण का केन्द्र बनेगा. उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष और रीयल एस्टेट क्षेत्र की संस्था नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि कई क्षेत्र हैं जहां भारत चीन पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो गया. भारत को इन क्षेत्रों में अवसर का लाभ उठाते हुये मजबूती बढ़ानी चाहिये. इस अवसर का लाभ उठाना चाहिये. उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के दाम तेजी से घट रहे हैं. इससे सरकार को अगले छह माह के दौरान विदेशी मुद्रा की काफी बचत होगी. इस बचत का लाभ चुने हुए उत्पादों पर जीएसटी दरों में 25 प्रतिशत तक कटौती के रूप में उद्योगों और उपभोक्ताओं को दिया जाना चाहिये. इससे घरेलू अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी.
बैंकों को सुस्ती में फंसे उद्योगों को कर्ज के मामले में एक बारगी पुनर्गठन का मौका देना चाहिये और यदि किसी उद्योग की कर्ज भुगतान में ढिलाई दिखती है तो उसे बैंकों की तरफ से एकबारगी रियायत दी जानी चाहिये. हीरानंदानी ने कहा कि जीएसटी दर में कटौती से रीयल एस्टेट बाजार को भी सहारा मिलेगा. हाल के वर्षों में रीयल एस्टेट बाजार में काफी गिरावट आई है. अब इसे संभलने का अवसर मिलना चाहिये. चैंबर आफ स्टार्ट अप्स के प्रवक्ता संदीप बिष्ट ने कहा कि कोई भी नया निदान तलाशने में स्टार्ट अप ही आगे आयेंगे. कोरोना वायरस के लिये चिकित्सा उपकरण बनाने के लिये सरकार का ध्यान प्रौद्योगिकी और आटोमेशन पर होना चाहिय. नई तकनीक लागत प्रभावी हो इसमें स्टार्ट अप्स की भूमिका अग्रणी होगी.