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आम आदमी को लगेगा बड़ा झटका ! 46 साल बाद पब्लिक प्रोविडेंट फंड पर ब्याज दर जा सकती है 7% नीचे

Public Provident Fund , ppf, coronavirus impact: कोरोना संकट में आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे आम लोगों को एक बड़ा झटका लग सकता है. दरअसल, सरकार एक बार फिर छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती कर सकती है. इसके तहत पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में भी कटौती की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज 7 फीसदी से भी नीचे जा सकता है, जो 46 साल में सबसे कम होगा

Public Provident Fund , ppf, coronavirus impact: कोरोना संकट में आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे आम लोगों को एक बड़ा झटका लग सकता है. दरअसल, सरकार एक बार फिर छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती कर सकती है. इसके तहत पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में भी कटौती की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज 7 फीसदी से भी नीचे जा सकता है, जो 46 साल में सबसे कम होगा.

इससे पहले 1974 में पीपीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर 7 फीसदी से कम हुई थी. हर तीन महीने पर स्मॉल सेविंग्स यानी सरकार की देखरेख में चलने वाली छोटी बचत योजनाओं के ब्याज को कम या ज्यादा करने का फैसला होता है. पिछली तिमाही में ही ये ब्याज दर कम होने के हालात बन चुके थे मगर सरकार ने तब फैसला नहीं लिया. अब ये फैसला एक ऐसे वक्त पर हुआ है जहां मार बहुत गहरी लगेगी. खासकर उन लोगों को जो ब्याज की कमाई के भरोसे ही गुजारा कर रहे हैं

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46 साल बाद होगा ऐसा

इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक पिछले 46 साल में ऐसा नहीं हुआ जब पीपीएफ पर इससे कम ब्‍याज मिला हो. दरअसल, बॉन्‍ड यील्‍ड में लगातार गिरावट आ रही है. इसका मतलब है कि छोटी बचत स्‍कीमों की ब्‍याज दर में कमी की जा सकती है. इनकी ब्‍याज दर हर तिमाही तय होती है. अगले हफ्ते ब्‍याज दर में बदलाव होना है.छोटी बचत स्‍कीमों की ब्‍याज दर सरकार के बॉन्‍ड यील्‍ड से लिंक होती है. पीपीएफ की दर 10 साल के सरकारी बॉन्‍ड की यील्‍ड से लिंक है. अप्रैल-जून तिमाही के लिए पीपीएफ की ब्‍याज दर को 7.1 फीसदी रखा गया था..

अप्रैल में गिरीं थी ब्याज दरें

बता दें कि अप्रैल में ब्‍याज दरों में तेज गिरावट आई थी. इससे पीपीएफ की दर 7.9 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी की गई थी. वरिष्ठ नागरिक बचत योजना की दर 8.6 फीसदी से घटकर 7.4 फीसदी रह गई थी. नेशनल सेविंग्‍स सर्टिफिकेट (एनएससी) की दरें 7.9 फीसदी से कम होकर 6.8 फीसदी और सुकन्‍या समृद्धि अकाउंट स्‍कीम की 8.4 फीसदी से घटकर 6.9 फीसदी रह गई थीं. एक अप्रैल से 10 साल के बॉन्‍ड की यील्‍ड औसतन 6.07 फीसदी रही है. अभी यह 5.85 फीसदी है. इससे साफ संकेत मिलते हैं कि छोटी बचत स्‍कीमों की ब्‍याज दर घट सकती है.

एफडी की ब्याज दरों में भी कमी

ब्याज दर में कटौती से पहले खरीदे गए एनएससी और किसान विकास पत्र(केवीपी ) पर मैच्‍योरिटी तक कॉन्‍ट्रैक्‍ट की दर से ब्‍याज मिलता रहेगा. लेकिन, पीपीएफ और सुकन्‍या योजना के निवेश पर असर पड़ेगा. छोटी बचत स्‍कीमों की ब्‍याज दरें बैंक डिपॉजिट की दरों की तर्ज पर घट रही हैं. छोटी अवधि के फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट (एफडी) की दरें कुछ मामलों में सेविंग्‍स अकाउंट जितनी रह गई हैं. सात से 45 दिन की एफडी के लिए एसबीआई 2.9 फीसदी ब्‍याज ऑफर कर रहा है. यह उसके सेविंग्‍स बैंक अकाउंट के ब्‍याज 2.7 फीसदी से कुछ ज्‍यादा है. वहीं एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा छोटी अवधि की एफडी पर बचत खातों से भी कम ब्याज दे रहे हैं. बता दें की पीपीएफ खाते का मैच्योरिटी की अवधि 15 साल की होती है. इसमें साल में कम से कम 500 रुपये और अधिकतम डेढ लाख रुपये का निवेश होता है.

इन लोगों को लगेगा बड़ा झटका

इसमें खासकर वो लोग ज्यादा हैं जिनको या तो पेंशन बिलकुल नहीं मिलती, या जो मिलती है उससे उनका गुजारा नहीं होता. ऐसे बहुत से लोगों ने अपनी नौकरी के दौरान बचत करके, रिकरिंग डिपाजिट या फिक्स्ड डिपाजिट खोलकर पैसा जमा किया. और बहुत से तो ऐसे भी हैं जिन्होंने हमेशा से या तो पोस्ट ऑफिस के खाते में ही पैसा रखा, या फिर टाइम डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट के सहारे बचाया. फिर ऐसे लोगों की गिनती भी कम नहीं है जो टैक्स बचाने के लिए बरसों नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट या एनएससी खरीदते रहे और उम्मीद करते रहे कि जब उनकी कमाई बंद हो जाएगी तो इस बचत से होनेवाली कमाई से उनका खर्च चल जाएगा

Posted by: Utpal kant

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