EPFO: नौकरीपेशा लोगों को लगेगा एक और झटका! फिर से घट सकती हैं पीएफ की ब्याज दर

EPFO,Provident Fund interest rate,EPF interest rate: कोरोना महामारी संकट और लॉकडाउन से प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था का असर लोगों की आय के साथ-साथ लगातार उनकी ब्याज आय पर भी पड़ रहा है. आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद से कई छोटे-बड़े बैंक जमाओं पर ब्याज दरों को घटा चुके हैं. अब खबर है कि ईपीएफओ करोड़ों कर्मचारियों को झटका देना वाला है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2020 12:16 PM

EPFO, Provident Fund interest rate, EPF interest rate: कोरोना महामारी संकट और लॉकडाउन से प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था का असर लोगों की आय के साथ-साथ लगातार उनकी ब्याज आय पर भी पड़ रहा है. आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद से कई छोटे-बड़े बैंक जमाओं पर ब्याज दरों को घटा चुके हैं. अब खबर है कि ईपीएफओ करोड़ों कर्मचारियों को झटका देना वाला है. चर्चा है कि एक बार फिर कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है.

बता दें कि यह ब्याज पहले 8.65 फीसदी थी, जिसे मार्च महीने में घटाकर 8.50 फीसदी किया गया और अब फिर से इसे घटाने पर विचार किया जा रहा है. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, ईपीएफओ की ओर से इस पर विचार करने की वजह ये है कि निवेश पर रिटर्न लगातार घट रहा है, जिसके चलते प्रोविडेंट फंड पर दिए जाने वाले ब्याज को घटाने पर विचार किया जा रहा है. अगर ऐसा होता है तो छह करोड़ अंशधारकों को बड़ा झटका लगेगा.

Also Read: Petrol Diesel Price Today : पेट्रोल-डीजल की कीमत में 20वें दिन लगी आग, जनता त्रस्त, जानें क्यों हो रहा है ऐसा
जल्द होने वाली है बैठक 

खबर के मुताबिक, ईपीएफओ का वित्त विभाग, निवेश विभाग और ऑडिट कमेटी जल्द ही एक बैठक करने वाले हैं. इसमें ये फैसला किया जाएगा कि ईपीएफओ कितना ब्याज दर देने की हालत में है. मार्च महीने की शुरुआत में नई ब्याज दर 8.5 फीसदी की घोषणा हुई थी, लेकिन अभी तक उसे वित्त मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल सकी है. श्रम मंत्रालय इसके बारे में तभी अधिसूचना करेगा, जब वित्त मंत्रालय इसे अपनी मंजूरी दे देता है.

ईपीएफओ ने किया है इतना निवेश

ईपीएफओ ने 18 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है. इसमें से करीब 4500 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन(डीएचएफल) और इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनेंशल सर्विसेज (आईएल एंड एफएस ) में लगाए गए हैं. इन दोनों को ही भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. डीएचएफएल जहां बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन प्रॉसेस से गुजर रही है, वहीं आईएल एंड एफएस को बचाने के लिए सरकारी निगरानी में काम चल रहा है. . आपको बता दें कि ईपीएपओ अपने कुल फंड का 85 फीसदी हिस्सा डेट मार्केट (बॉन्ड्स) में और 15 फीसदी हिस्सा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स के जरिए शेयर बाजार में लगाता है.

स्मॉल सेविंग स्कीम्स पर भी घाटा

यही नहीं, सरकार समर्थित स्मॉल सेविंग स्कीम्स पर भी ब्याज दरों में गिरावट आ सकती है. अप्रैल से जून तिमाही के लिए पर्सनल प्रोविडेंट फंड(पीपीएफ) पर ब्याज दर को 0.80 फीसद घटाकर 7.1 फीसद कर दिया गया था. अब जुलाई से सितंबर वाली तिमाही के लिए पीपीएफ की ब्याज दरों में और कटौती होने की संभावना है. सरकार हर तीन महीने में स्मॉल सेविंग स्कीम की ब्याज दरों को तय करती है. सरकार द्वारा अप्रैल-जून तिमाही के लिए पीपीएफ की ब्याज दर 80 आधार अंक घटाकर 7.1 फीसद तय की गई थी. अब जुलाई से सितंबर तिमाही के लिए पीपीएफ पर ब्याज दरें तय की जाएंगी.

लॉकडाउन में ईपीएफओ ने दी राहत

गौरतलब है कि कोरोना संकट के इस दौर में केंद्र सरकार ने आम लोगों-कर्मचारियों को राहत देने के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं. इसके तहत लोगों को ज्यादा वेतन मिले इसके लिए पीएफ अंशदान को तीन माह के लिए 12 से 10 फीसदी कर दिया गया. अप्रैल और मई माह में ईपीएफओ ने दावा किया 30.61 लाख से ज्यादा एडवांस क्‍लेम के मामलों का सेटलमेंट किया है. इन मामलों में कुल 11 हजार 540 करोड़ रुपयों का भुगतान खाताधारकों को किया गया है.

यह भुगतान कोविड-19 की श्रेणी के तहत किए गए क्‍लेम के तहत विशेष रूप से किया गया है. श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा था कि इस सुविधा ने संकट के इस वक्त में कई सदस्यों को कर्जदार होने से बचा लिया है.लॉकडाउन की अवधि में जितने भी ईपीएफओ सदस्यों ने दावे किए, उनमें से 74 फीसद की सैलरी 15 हजार रुपये से कम थी. वहीं, 15,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक सैलरी वालों की संख्या 24 प्रतिशत थी. उससे ऊपर की सैलरी वालों की तादाद सिर्फ दो प्रतिशत रही.

Posted By: Utpal kant

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version