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कोरोना लॉकडाउन ने बिगाड़ा दार्जीलिंग की चाय का जायका, मौसम की पहली पत्ती हो रही खराब

Coronavirus lockdown spoiled the flavour of Darjeeling tea कोलकाता : कोरोना वायरस देश भर में लोगों की सेहत तो बिगाड़ ही रहा है, विश्वप्रसिद्ध दार्जीलिंग चाय का जायका भी बिगाड़ रहा है. दार्जीलिंग चाय उद्योग ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से निबटने को लेकर सार्वजनिक पाबंदियों के चलते बागानों में पहले दौर की खिली पत्तियां (फ्लश उत्पादन) बर्बाद हो गयी है और बागान मालिक वित्तीय संकट में आ गये हैं.

By Mithilesh Jha | April 5, 2020 9:18 AM

कोलकाता : कोरोना वायरस देश भर में लोगों की सेहत तो बिगाड़ ही रहा है, विश्वप्रसिद्ध दार्जीलिंग चाय का जायका भी बिगाड़ रहा है. दार्जीलिंग चाय उद्योग ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से निबटने को लेकर सार्वजनिक पाबंदियों के चलते बागानों में पहले दौर की खिली पत्तियां (फ्लश उत्पादन) बर्बाद हो गयी है और बागान मालिक वित्तीय संकट में आ गये हैं.

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कहा जा रहा है कि एक बागान की वार्षिक आमदनी में पहले दौरान की पत्तियों का योगदान 40 प्रतिशत रहता है, क्योंकि यह उच्च गुणवत्ता की चाय होती है, जो ऊंचे भाव पर बिक जाती है. दार्जीलिंग चाय संघ (डीटीए) के अध्यक्ष बिनोद मोहन ने कहा कि पहाड़ियों में होने वाले 80 लाख किलोग्राम वार्षिक उत्पादन का 20 प्रतिशत हिस्सा फ्लश उत्पादन या पहली खेप का होता है.

उन्होंने बताया, ‘स्थिति बहुत खराब है. पहला ‘फ्लश’ उत्पादन लगभग खत्म हो गया है.’ डीटीए के पूर्व अध्यक्ष अशोक लोहिया ने कहा कि पूरी पहली फ्लश फसल निर्यात योग्य होती है और इस प्रीमियम किस्म के उत्पादन घाटे के कारण वार्षिक राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

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चामोंग चाय के अध्यक्ष लोहिया ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सरकार उत्पादन शुरू करने की अनुमति दे, क्योंकि यह मुख्य रूप से एक कृषि गतिविधि है.’ पहला फ्लश सीजन मार्च से शुरू होता है और मई के पहले सप्ताह तक जारी रहता है.

मोहन ने कहा कि इस क्षेत्र में वित्तीय संकट के बावजूद, सरकार के निर्देश के अनुसार कुछ चाय बागान मालिक मजदूरों को भुगतान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दार्जीलिंग के कुछ चाय बागान मालिक, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, उन्हें मजदूरी भुगतान दायित्वों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

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मोहन ने कहा, ‘हमने पश्चिम बंगाल सरकार से उनके बोझ को कुछ हद तक कम करने का अनुरोध किया है.’ इस पहाड़ी क्षेत्र में लगभग 87 चाय बागान हैं. भारतीय चाय संघ (डीआईटीए) के दार्जीलिंग चैप्टर के सचिव एम छेत्री ने कहा कि उसके 22 सदस्य हैं और उनमें से पांच ने लॉकडाउन अवधि के दौरान श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान किया है, भले ही उनके उत्पादन में गिरावट क्यों न आयी हो.

उन्होंने कहा कि जिन बागानों ने अपने श्रमिकों को भुगतान किया, वे चाय बागान हैं ग्लेनबर्न, मकाइबारी, अंबियोक, तेंदहरिया और जंगपारा. छेत्री ने कहा, ‘अभी तक मजदूरों को मजदूरी का भुगतान न कर पाने वाले चाय बागानों के मालिक कर्मचारी यूनियनों के साथ चर्चा कर रहे हैं, और उम्मीद है कि जल्द ही कोई निर्णय ले लिया जायेगा.’ दार्जीलिंग के चाय श्रमिकों को राशन और भोजन के अलावा दैनिक रूप से 176 रुपये का भुगतान किया जाता है.

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