Power Crisis : मानसून में थर्मल पावर प्लांटों में फिर छा सकती है कोयले की कमी, जुलाई-अगस्त में बिजली संकट

थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की कमी की वजह से उत्पन्न बिजली संकट से आम उपभोक्ता अभी पूरी तरह से उबर भी नहीं पाया है कि एक बार फिर बिजली समस्या पैदा होने के आसार नजर आने लगे हैं. आशंका जाहिर की जा रही है कि मानसून से पहले थर्मल पावर प्लांटों में कोयला भंडार नहीं बढ़ाने से उत्पादन प्रभावित होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2022 12:45 PM

नई दिल्ली : भारत में थर्मल पावर प्लांटों मानसून से पहले कोयला भंडार की कमी होने से संकेत मिल रहा है. इसकी वजह से जुलाई-अगस्त तक देश में एक बार फिर देश के आम उपभोक्ताओं को भारी बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लिन एयर (सीआरईए) की रिपोर्ट में थर्मल पावर प्लांटों में बरसात के दौरान कोयले की कमी का अंदेशा जाहिर किया गया है. खदानों पर लगे पावर स्टेशनों के पास अभी 1.35 करोड़ टन का कोयला भंडार है और देशभर के पावर प्लांटों के पास 2.07 करोड़ टन कोयला भंडार है.

पावर प्लांटों में बिजली मांग झेलने की क्षमता नहीं

शोध संगठन सीआरईए ने अपनी भार उठाने में विफल: भारत का ऊर्जा संकट कोयला प्रबंधन का संकट है शीर्षक की रिपोर्ट में कहा है, ‘आधिकारिक स्रोतों से एकत्रित आंकड़े बताते हैं कि कोयला आधारित पावर प्लांट ऊर्जा की मांग में मामूली बढ़ोतरी को भी झेलने की स्थिति में नहीं हैं और कोयला परिवहन की योजना पहले से बनाने की जरूरत है.’ वहीं, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) का अनुमान है कि अगस्त में ऊर्जा की अधिकतम मांग 214 गीगावॉट पर पहुंच जाएगी. इसके अलावा, औसत बिजली की मांग भी मई के दौरान 13,342.6 करोड़ यूनिट से अधिक हो सकती है.

बारिश में कोयले के खनन और परिवहन में होगी परेशानी

सीआरईए ने कहा कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून के आगमन से खनन में और खदानों से बिजली स्टेशनों तक कोयले के परिवहन में भी मुश्किलें आएंगी. मानसून से पहले यदि कोयला भंडार को पर्याप्त स्तर तक नहीं बनाया गया, तो जुलाई-अगस्त में देश को एक और बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि हाल में देश में जो बिजली संकट आया था, उसकी वजह कोयला उत्पादन नहीं बल्कि इसका वितरण और अधिकारियों की उदासीनता थी. इसमें कहा गया, ‘आंकड़ों से यह जाहिर है कि पर्याप्त कोयला खनन के बावजूद थर्मल पावर प्लांटों में कोयले का पर्याप्त भंडार नहीं रखा गया.’

भारत में कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन

बता दें कि भारत में 2021-22 में कोयले का 77.72 करोड़ टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जो इससे एक साल पहले के 71.60 करोड़ टन उत्पादन की तुलना में 8.54 फीसदी अधिक है. सीआरईए में विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि 2021-22 में देश की कुल खनन क्षमता 150 करोड़ टन रही, जबकि कुल उत्पादन 77.72 करोड़ टन रहा जो उत्पादन क्षमता का ठीक आधा है.

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मई 2020 से ही कोयले की कमी झेल रहे पावर प्लांट

दहिया ने कहा कि यदि कोयले की वास्तव में कमी होती तो कोयला कंपनियों के पास उत्पादन बढ़ाने का विकल्प था. उन्होंने कहा कि यह स्थिति अभी-अभी बनी है ऐसा नहीं है, बल्कि पावर प्लांटों के पास से तो मई 2020 से ही कोयले का भंडार लगातार घट रहा है. दहिया ने कहा कि पिछले वर्ष बिजली संकट की स्थिति बनने का प्रमुख कारण यह था कि बिजली संयंत्र परिचालकों ने मानसून से पहले कोयले का पर्याप्त भंडार नहीं बनाया था.

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