वाशिंगटन : अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप सरकार के दौरान शुल्क नीतियों के चलते भारत और अमेरिका के व्यापार संबंध तनावपूर्ण हो गए. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दोनों पक्षों ने व्यापारिक तनावों को दूर करने के लिए बातचीत का सहारा भी लिया. कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में सेलफोन और अन्य दूरसंचार वस्तुओं पर शुल्क शून्य फीसदी से बढ़कर 15-20 फीसदी तक पहुंच गया है.
व्यापार पर फैसला लेने से पहले कांग्रेस के सदस्यों के लिए तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप सरकार के दौरान दोनों पक्षों की शुल्क नीतियों से द्विपक्षीय तनाव बढ़े. सामन्य तौर पर देखें, तो भारत ने अपेक्षाकृत अधिक शुल्क लगाया है, विशेषकर कृषि के क्षेत्र में. भारत विश्व व्यापार संगठन के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किये बिना लागू दरों को बढ़ा सकता है, जो अमेरिकी निर्यातकों के लिए अनिश्चितता पैदा कर रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने ट्रंप सरकार के द्वारा 2018 में इस्पात पर लगाए गए 25 फीसदी शुल्क और एल्यूमिनीयम पर 10 फीसदी शुल्क लगाने का विरोध किया है. भारत ने द्विपक्षीय समाधान की उम्मीद में अमेरिका के खिलाफ प्रतिगामी शुल्क लगाने की योजना को जानबूझकर टाला है.
भारत ने अमेरिका के व्यापार तरजीही कार्यक्रम की पात्रता खोने के बाद अमेरिका के उत्पादों पर 10 फीसदी से लेकर 25 फीसदी तक का उच्च शुल्क लगाया, जिससे अमेरिका के करीब 1.32 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ा. रिपोर्ट में कहा गया कि यह शुल्क नट्स, सेब, रसायन और इस्पात आदि पर लगाया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों पक्ष विश्व व्यापार संगठन में एक-दूसरे के लगाए शुल्क को चुनौती दे रहे हैं.
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस ने कहा कि ट्रंप सरकार के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने व्यापार तनावों को कम करने के लिए ठोस वार्ता की. एक संभावित व्यापार सौदे में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारत को आंशिक तौर पर जीएसपी (सामान्य तरजीही प्रणाली) में शामिल किया जा सकता है, जिसके बदले भारत बाजार की चुनिंदा पहुंच उपलब्ध करा सकता है.
Posted By : Vishwat Sen
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