बीजिंग : यूक्रेन पर रूसी रॉकेटों, मिसाइलों और तोपों के धमाकों की वजह से कच्चे तेल के दाम में आग लग गई है. हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी समेत कई देशों द्वारा रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने और अंतरराष्ट्रय बाजार में सामान्य आपूर्ति के बावजूद बुधवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई. इसके साथ ही, रूस के हमलों का घरेलू शेयर बाजार पर भी प्रतिकूल असर दिखाई दे रहा है. रूसी हमलों के बीच कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आने से शुरुआती कारोबार में बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स 600 अंकों से अधिक टूट गया.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका समेत अन्य प्रमुख देशों की सरकारों द्वारा रणनीतिक भंडारों से तेल जारी करने की प्रतिबद्धता भी रूस के यूक्रेन पर हमले के कारण सकते में आए बाजारों को शांत करने में विफल रही और बुधवार को तेल की वैश्विक कीमतों में 5 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी दर्ज की गई. अमेरिकी मानक कच्चे तेल का दाम 5.24 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 108.60 पर पहुंच गया. वहीं अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 5.43 डॉलर बढ़कर 110.40 डॉलर पर पहुंच गया.
इससे पहले, मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के सभी 31 सदस्य देशों ने अपने रणनीतिक भंडारों से 6 करोड़ बैरल तेल जारी करने पर सहमति जताई थी. उन्होंने तेल बाजार को यह संकेत देने के लिए यह कदम उठाया कि रूस के यूक्रेन पर हमले से तेल आपूर्ति में कोई कमी नहीं होगी. हालांकि, यह कदम भी तेल के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक रूस से आपूर्ति में व्यवधान को लेकर उपजी चिंताएं शांत नहीं कर पाया.
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बताते चलें कि रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के कारण वैश्विक शेयर बाजारों में भारी बिकवाली का रुख रहा और शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 600 अंक से अधिक टूट गया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और विदेशी पूंजी की सतत निकासी का असर निवेशकों की धारणा पर पड़ा. इस दौरान 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 613.55 अंक या 1.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 55,633.73 पर था. इसी तरह एनएसई निफ्टी 175.30 अंक या 1.04 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,618.60 पर आ गया.
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