पेरिस : कोरोना वायरस के सलते आर्थिक गतिविधियों के अस्त-व्यस्त होने से कच्चे तेल के सालाना वैश्विक खपत में गिरावट आने का अनुमान है. यह एक दशक से भी अधिक समय में पहली सालाना गिरावट होगी. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की सोमवार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य स्थिति में कच्चे तेल की वर्तमान मांग में औसतन 11 लाख बैरल की दैनिक कमी आने का अनुमान है. इससे कच्चे तेल के उत्पादन में भी दैनिक 90,000 बैरल की कमी हो सकती है.
एजेंसी का यह अनुमान इस मान्यता पर आधारित है कि चीन कोराना वायरस के प्रसार पर इस माह अंकुश लगा लेगा, जबकि दूसरी जगहों पर संकम्रण को सीमित करने के उपायों का तेल की मांग पर असर कम होगा. आईईए की इस रिपोर्ट में सऊदी अरब और रूस के बीच कच्चे तेल में उत्पादन कटौती पर सहमति नहीं बनने और कीमत युद्ध छिड़ने की संभावनाओं पर कुछ नहीं कहा गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी में कच्चे तेल का उपभोग पिछले साल के मुकाबले 42 लाख बैरल प्रतिदिन कम हो गया. इसमें 36 लाख बैरल प्रतिदिन की मांग सिर्फ चीन में कम हुई है. हालांकि, आईईए ने किसी खास महीने में खपत के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराये हैं. आईईए के प्रमुख फातिह बिरोल ने कहा कि कोरोना वायरस से कोयला, गैस और नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े व्यापक ऊर्जा बाजार प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन कच्चे तेल के बाजार पर प्रभाव ज्यादा गंभीर है, क्योंकि इससे लोगों और माल की आवाजाही रुक रही है.
उन्होंने कहा कि चीन के संदर्भ में तो यह एकदम सच है. चीन तेल और गैस का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और पिछले साल वैश्विक कच्चे तेल की मांग की वृद्धि में 80 प्रतिशत योगदान चीन का था.
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