13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Crude Oil: भारत का रूसी तेल आयात नवंबर में गिरा, छूट घटने से हुआ असर

Crude Oil: रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल खरीदार बन गया था. फरवरी 2022 से पहले भारत की कुल तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी 1% से भी कम थी जो बढ़कर लगभग 40% तक पहुंच गई थी

Crude Oil: रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल खरीदार बन गया था. फरवरी 2022 से पहले भारत की कुल तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी 1% से भी कम थी जो बढ़कर लगभग 40% तक पहुंच गई थी. हालांकि नवंबर 2024 में भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात जून 2022 के बाद के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. इसके बावजूद रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना रहा इसके बाद इराक और सऊदी अरब का स्थान रहा.

55% गिरावट दर्ज

यूरोपीय थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर में भारत के रूसी कच्चे तेल के आयात में 55% की बड़ी गिरावट देखी गई. हालांकि रूस भारत को मुख्य रूप से ESPO और Sokol ग्रेड के तेल की आपूर्ति करता है.

रूस के लिए बड़ा बाजार बना भारत और चीन

रूस के कुल कच्चे तेल निर्यात का 47% हिस्सा चीन ने खरीदा जबकि भारत ने 37% तेल खरीदा. यूरोपीय संघ और तुर्की का हिस्सा मात्र 6% रहा. नवंबर में Urals ग्रेड कच्चे तेल पर छूट औसतन $6.01 प्रति बैरल रही जो ब्रेंट क्रूड से 17% अधिक थी. हालांकि ESPO ग्रेड और Sokol ग्रेड की छूट क्रमशः 15% और 2% घटकर $3.88 और $6.65 प्रति बैरल रही.

Also Read: Success Story: बिहार में जन्मे, बचपन में कबाड़ बेचा और फिर खड़ी की करोड़ों की कंपनी

रूसी कोयले का आयात भी घटा

कच्चे तेल के अलावा भारत ने रूस से कोयले का भी सीमित आयात किया. दिसंबर 2022 से नवंबर 2024 तक रूस के कुल कोयला निर्यात का 46% हिस्सा चीन ने खरीदा जबकि भारत ने 17% का आयात किया.

कच्चे तेल पर वैश्विक प्रतिबंध का असर

रूस की तेल आय पर प्रभाव डालने के लिए G7 देशों यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ने दिसंबर 2022 में रूसी कच्चे तेल पर $60 प्रति बैरल की सीमा लगाई. इस सीमा और प्रतिबंधों के चलते रूस को अपने Urals ग्रेड तेल पर औसतन 15% छूट देनी पड़ी जिससे उसे 14.6 बिलियन यूरो का नुकसान हुआ.

‘शैडो’ टैंकरों के जरिए नए बाजार तलाश रहा रूस

CREA के मुताबिक प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने ‘शैडो’ टैंकर नेटवर्क बनाकर नए बाजारों में तेल बेचना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट बताती है कि पहले साल में रूस को अपने Urals ग्रेड तेल निर्यात में औसतन 23% का नुकसान हुआ जो दूसरे साल में 9% पर आ गया.

रूस ने प्रतिबंधों का सामना करते हुए छूट और परिवहन के नए तरीके अपनाकर अपने तेल की बिक्री जारी रखी है. हालांकि इन उपायों के बावजूद रूसी आय में गिरावट दर्ज की गई है जो प्रतिबंधों के प्रभाव को दर्शाती है.

Also Read: Aadhaar Card Update: बढ़ गई आधार कार्ड अपडेट कराने की अंतिम तारीख, मौका हाथ से न जाने दें

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें