टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री का रविवार को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया. साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) गुजरात के उदवाड़ा पवित्र धर्म स्थान पर पहुंचे थे. यहां उन्होंने दर्शन किये और कुछ देर तक रुकने के बाद मुंबई के लिए रवाना हुए थे, तभी बीच रास्ते में उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई. हादसा इतना भयानक था कि मर्सिडीज के अगले हिस्से के परखच्चे उड़ गए. मिस्त्री के साथ पारसी समुदाय के ही तीन और लोग मौजूद थे जिनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य अस्पताल में भर्ती हैं. सायरस मिस्त्री का शव पोस्टमॉर्टम के बाद उनके परिवार को सौंपा गया है. साइरस मिस्त्री के कुछ रिश्तेदार विदेश में भी रहते हैं, ऐसे में मंगलवार को मिस्त्री का अंतिम संस्कार किया जा सकता है.
अंतिम संस्कार का तरीका बिलकुल अलग
आपको बता दें कि साइरस मिस्त्री पारसी समुदाय से हैं. वह पारसी समाज के लिए हमेशा दान करते रहे. रविवार को भी वह धार्मिक स्थान से दर्शन कर लौट रहे थे. हादसे को लेकर पारसी समुदाय के लोग शोक में डूब गए हैं. बात करें मिस्त्री की अंतिम क्रिया की, तो हजारों साल पहले पर्शिया (ईरान) से भारत आये पारसी समुदाय में शव के अंतिम संस्कार का तरीका अन्य समुदायों से काफी अलग है. इसमें शव को न तो हिंदू धर्म की तरह जलाया जाता है और न ही मुस्लिम या ईसाई धर्मावलंबियों की तरह दफनाया जाता है. हालांकि साइरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार किस पद्धति से होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है.
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पारसी धर्म के अनुसार होगा सायरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार?
चर्चा है कि सायरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार पारसी धर्म के अनुसार किया जा सकता है. इस धर्म में अंतिम संस्कार का तरीका बिलकुल अलग होता है. जहां हिंदू धर्म में लोग शव को अग्नि या जल को सौंपते हैं, वहीं ईसाई और मुस्लिम शव को धरती की गोद में दफन करते हैं. इन सब से अलग, पारसी धर्म की मान्यता के अनुसार अग्नि, जल और धरती तीनों ही पवित्र होते हैं. धार्मिक मान्यतानुसार, शव को जलाने से अग्नि तत्व अपवित्र हो जाता है, इसे नदी में प्रवाहित करने से जल तत्व और दफनाने से पृथ्वी तत्व प्रदूषित होता है. इसलिए इस धर्म में मृत्यु के बाद शव को आसमान को सौंप देने का प्रावधान है.
टावर ऑफ साइलेंस या दखमा क्या है?
आपको बता दें कि दुनियाभर में पारसी समुदाय की आबादी लगभग 1 लाख के आसपास है. इनमें से आधे से अधिक लोग मुंबई और गुजरात में ही रहते हैं. जिन जगहों पर पारसी समुदाय के लोगों की संख्या ज्यादा होती है, वहां सुदूर किसी निर्जन स्थान पर शव के अंतिम संस्कार के लिए टावर ऑफ साइलेंस (Tower of Silence) होते हैं. इसे दखमा (Dakhma) भी कहते हैं. यह जमीन से ऊंचाई पर बना एक पक्का और गोलाकार ढांचा होता है, जिसकी चोटी पर शव को रख दिया जाता है. यहां शव को सूरज की रोशनी में छोड़ दिया जाता है. इसके बाद शव को गिद्ध, चील और कौवे खा जाते हैं. पारसी समुदाय में मृत शरीर के अंतिम सेस्कार का यह तरीका सबसे पवित्र माना जाता हैं. हालांकि, सायरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार इसी पद्धति से होगा या नहीं, यह बात अभी साफ नहीं है.
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