DA Hike: केंद्र सरकार के द्वारा आज कैबिनेट बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में, केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में बढ़ोतरी पर मुहर लगा दी गयी. बताया जा रहा है कि सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता वृद्धि का ऐलान किया है. इसके बाद कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 46 प्रतिशत हो गया है. बढ़ा हुआ डीए कर्मचारियों और पेशनभोगियों के खाते में अक्टूबर के महीने के सैलरी या पेंशन के साथ आएगा. इसके साथ ही, उन्हें तीन महीने का एरिया भी प्राप्त होगा. क्योंकि, सरकार के द्वारा जो डीए बढ़ाया जाएगा, वो 1 जुलाई 2023 से प्रभावी होगा. इससे पहले कर्मचारियों का डीए 24 मार्च चार प्रतिशत बढ़ाया था. ये एक जनवरी 2023 से प्रभावी हुआ था. इससे पहले कर्मचारियों को 38 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलता था. मगर, चार प्रतिशत की वृद्धि के बाद महंगाई भत्ता 42 फीसदी हो गया. महंगाई को देखते हुए कर्मचारी यूनियन पहले से चार प्रतिशत वृद्धि की मांग कर रहे थे. हालांकि, अगस्त के डाटा को देखते हुए उम्मीद केवल तीन प्रतिशत वृद्धि की जा रही थी.
कितना बढ़ने वाली है सैलरी
केंद्र सरकार के द्वारा वर्तमान में 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. अब डीए में चार प्रतिशत की वृद्धि होने के बाद ये बढ़कर 46 प्रतिशत हो जाएगा. इसका अर्थ है कि अगर आपकी बेसिक सैलरी 30 हजार रुपये है तो आपको वर्तमान में 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता के हिसाब से डीए 12,600 रुपये मिलता है. अब सरकार चार प्रतिशत बढ़ा देने से डीए 46 प्रतिशत हो जाएगा. इसके बाद, आपके 30 हजार बेसिक सैलरी पर 13,800 रुपये महंगाई भत्ता मिलेगा. यानी आपके सैलरी में महीने में 1200 रुपये का इजाफा होगा.
एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों-पेंशनर्स को मिलेगा लाभ
केंद्र सरकार के द्वारा त्योहारों में कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने से इसका लाभ करीब एक करोड़ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलेगा. वर्तमान में 47.58 लाख केंद्रीय कर्मचारी और लगभग 69.76 लाख पेंशनर्स है.
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क्या होता है महंगाई भत्ता
महंगाई भत्ता (Dearness Allowance, DA) एक प्रकार का भत्ता है जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई के हिसाब से उनके वेतन या पेंशन में वृद्धि के रूप में दिया जाता है. यह उद्देश्य रखता है कि जब महंगाई बढ़ती है, तो उनकी आर्थिक स्थितियों को सुधारने के लिए उनके वेतन या पेंशन में वृद्धि की जाए. इसका उद्देश्य यह है कि लोग न केवल आधारिक वेतन से जुड़े हों, बल्कि उनकी आय उनकी आर्थिक जरूरतों और महंगाई के साथ समायोजित हो. महंगाई भत्ता का मूल आधार एक विशेष तरह की जीवनन्यायिकता है जिसे “Cost of Living” कहा जाता है. इसका मूल उद्देश्य यह है कि व्यक्ति उसकी व्यक्तिगत आय के आधार पर अपने जीवनयापन की लागत को सही तरीके से संतुलित कर सके. सरकारें समय-समय पर महंगाई भत्ता में सुधार करती हैं ताकि वेतन और पेंशन तंत्र का उपयोग व्यक्तियों के उचित जीवन यापन की लागत को सहेजने में मदद कर सके.
कैसे तय होता है कर्मचारियों का डीए
केंद्रीय कर्मचारियों का डीए तय करने के लिए महंगाई दर (Inflation Rate) को देखा जाता है. महंगाई जितनी होती है. उतनी ही केंद्रीय कर्मचारियों के डीए की बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जाती है. साल में दो बाद कर्मचारियों का महंगाई भत्ता तय किया जाता है. एक बार एक जनवरी को दूसरी बार एक जुलाई को. सीपीआई-आईडब्ल्यू के आंकड़ों के आधार पर डीए का मानक बनाया जाता है. इसके अलावा इसकी गणना के लिए इन्हें देखा जाता है.
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महंगाई भत्ता समिति (MPC): महंगाई भत्ता को तय करने के लिए एक समिति या कमीशन बनाया जाता है जिसे ‘महंगाई भत्ता समिति’ या ‘महंगाई भत्ता कमीशन’ कहते हैं. इस समिति का उद्देश्य बाजार में महंगाई दरों को निर्धारित करना होता है.
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महंगाई सूची: महंगाई भत्ता समिति या कमीशन द्वारा एक महंगाई सूची तैयार की जाती है. इस सूची में विभिन्न वस्त्रों, खाद्य आदि की महंगाई के मानों को निर्धारित किया जाता है.
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महंगाई दरों की समीक्षा: महंगाई भत्ता समिति नियमित अंतराल पर देशभर में बाजार महसूस करती है और महंगाई दरों को समीक्षा करती है.
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सिफारिश और सुझाव: समिति अधिवेशनों और विभिन्न स्तरों पर विभागों, व्यापारियों, और अन्य संगठनों से सुझाव और सिफारिशें सुनती है.
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महंगाई दरों का अनुसरण: आधारित विभिन्न प्राप्तियों को देखते हुए, समिति महंगाई भत्ता के मानों को अनुकूलित कर सकती है.
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सरकारी अनुमोदन और प्रकाशन: समिति द्वारा सुझावित महंगाई भत्ता को सरकार द्वारा अनुमोदित करने के बाद इसे सार्वजनिक कर दिया जाता है.
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व्यापारियों और उपभोक्ताओं को नयी महंगाई भत्ता के अनुसार वस्त्र और सेवाओं की मूल्य निर्धारित करने में मदद मिलती है.
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