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2000 रुपये की नोट वापसी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का आया बड़ा फैसला, जानें आप पर क्या होगा असर

आरबीआई ने 19 मई को दो हजार रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी और कहा था कि मौजूदा नोट को 30 सितंबर तक बैंक खातों में जमा किया जा सकता है या बदला जा सकता है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसी साल मई में 2000 रुपये के नोट की वापसी का बड़ा फैसला लिया. जिसके बाद से बैंकों में नोट बदलने की प्रक्रिया जारी है. इधर नोट वापसी को लेकर आरबीआई के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है. आरबीआई के 19 मई के फैसले को चुनौती देने वाली यह दूसरी ऐसी जनहित याचिका थी.

याचिका में क्या की गयी थी मांग

दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गयी थी, जिसमें 2000 रुपये मूल्य वर्ग के बैंक नोटों को प्रचलन से वापस लेने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फैसले को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता रजनीश भास्कर गुप्ता ने दलील दी थी कि आरबीआई के पास दो हजार रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की कोई शक्ति नहीं है और इस संदर्भ में केवल केंद्र सरकार ही फैसला कर सकती है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि आरबीआई के पास किसी भी मूल्य के बैंक नोट को बंद करने का निर्देश देने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है. यह शक्ति केवल वर्ष 1934 के आरबीआई अधिनियम की धारा 24 (2) के तहत केंद्र सरकार के पास निहित है.

हाई कोर्ट की दो जजों की पीठ ने याचिका खारिज की

न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने याचिकाओं को खारिज करने का फैसला किया. आरबीआई ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि 2000 रुपये के नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे. इसी पीठ ने हाल ही में उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें 2000 रुपये बदलने की अनुमति को चुनौती दी गई थी.

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2,000 रुपये के नोट को लेकर एक और याचिका को हाई कोर्ट ने किया था खारिज

इससे पहले, हाई कोर्ट ने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका को खारिज कर दिया था. याचिका में दावा किया गया था कि बिना किसी साक्ष्य के 2,000 रुपये के बैंक नोट को बदलने की सुविधा देने वाली वाली आरबीआई और एसबीआई की अधिसूचनाएं मनमानी और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बनाये गये कानून के खिलाफ है. इस बारे में उच्च न्यायालय ने कहा था कि नागरिकों को होने वाली असुविधा से बचाने के लिए ऐसा किया गया है. अदालत ने यह भी कहा कि वह किसी नीतिगत निर्णय पर अपीलीय प्राधिकरण के रूप में कार्य नहीं कर सकती.

आरबीआई ने 19 मई को 2000 के नोट को चलन से वापस लेने का लिया था फैसला

गौरतलब है कि आरबीआई ने 19 मई को दो हजार रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी और कहा था कि मौजूदा नोट को 30 सितंबर तक बैंक खातों में जमा किया जा सकता है या बदला जा सकता है.

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