नयी दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार से पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ओपरेटिव बैंक (PMC Bank) और यस बैंक (Yes Bank) के डिपॉजिटर्स के साथ अलग-अलग व्यवहार (भेदभाव) को लेकर सवाल उठाया है. अदालत ने पूछा कि घोटाले से प्रभावित पीएमसी बैंक के ग्राहक यस बैंक के ग्राहकों के मुकाबले किस प्रकार से अलग हैं. अदालत ने दोनों को इसके लिए तीन हफ्ते का समय दिया है. मामले पर अगली सुनवायी 6 अगस्त को होगी. गौरतलब है कि यस बैंक के मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए सरकार कदम उठाया और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित कई निवेशकों में बैंक में पूंजी डाली.
अदालत ने पाया कि केंद्र सरकार की मार्च की अधिसूचना के मुताबिक यस बैंक को उबारने में केंद्रीय बैंक और सरकार की भूमिका काफी अहम रही. पहले यस बैंक लिमिटेड पुनर्गठन योजना 2020 लायी गयी और बाद में इसमें निवेश भी किया गया. अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रिजर्व बैंक को पीएमसी बैंक में रखी गयी जमा की सुरक्षा और घटनाक्रम के बारे में वक्तव्य जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है.इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि डिपॉजिटर्स को उनकी राशि का ब्याज सहित पूरा भुगतान किया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति राजीव शकधर को केंद्र ने सूचित किया कि भारत सरकार ने घोटाले से प्रभावित यस बैंक में किसी तरह का निवेश नहीं किया. यहां तक कि सरकारी बैंक एसबीआई ने भी पुनर्गठन योजना मंजूर होने के बाद यस बैंक की शेयर पूंजी में निवेश किया है. केंद्र सरकार का यह जवाब अदालत के पिछले सवाल पर आया है, जिसमें अदालत ने सरकार से पीएमसी बैंक को किसी तरह की मदद देने अथवा उसमें कोई कोष डालने के उसके इरादे के बारे में पूछा था, जैसा उसने कथित तौर पर यस बैंक के मामले में किया. इसके बाद अदालत ने गुरुवार को आदेश जारी किया, जो शुक्रवार को उपलब्ध हुआ.
अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक हलफनामा दायर कर बताए कि यस बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए ‘जनहित’ में काम करने के लिए किसने उसे प्रेरणा दी और केंद्र सरकार यह बताए कि उसने इसके लिए पुनर्गठन योजना क्यों मंजूर की. अदालत ने आरबीआई और केंद्र सरकार को अतिरिक्ति हलफनामा दायर कर उन दस्तावेजों को अदालत के संज्ञान में लाने के लिए कहा, जो उसके यस बैंक को बचाने के निर्णय और पुनर्गठन योजना को मंजूर करने के कारणों की पुष्टि करें.
Posted By : Vishwat Sen
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