Loading election data...

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से फ्लैट खरीदार को मिला न्याय, सूद समेत पैसा लौटाएगी कंपनी

Delhi High Court: याचिका दायर करने वाले एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी ने कहा कि उसने 2012 में गुरुग्राम के लिए शुरू की गई परियोजना एनबीसीसी ग्रीन व्यू अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदा था, लेकिन 2017 में 76 लाख रुपये से अधिक की पूरी बिक्री कीमत का भुगतान करने के बावजूद उन्हें फ्लैट नहीं मिला.

By KumarVishwat Sen | May 10, 2024 1:47 PM
an image

Delhi High Court Decisson: हरियाणा के गुरुग्राम में सरकारी रीयल एस्टेट कंपनी एनबीसीसी से फ्लैट खरीदने वाले को 12 साल बाद आखिरकार न्याय मिल ही गया. दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी कंपनी एनबीसीसी को फ्लैट खरीदार को ब्याज सहित 76 लाख रुपये से अधिक रकम लौटाने का आदेश दिया है. अदालत में याचिका करने वाले ने 12 साल पहले गुरुग्राम स्थित एनबीसीसी ग्रीन व्यू अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदा था. फ्लैट की कीमत के तौर पर करीब 76 लाख रुपये का भुगतान किए जाने के बावजूद कंपनी ने उस पर खरीदार को कब्जा नहीं दिया. अब अदालत के आदेश पर इस सरकारी कंपनी को सूद समेत पूरी रकम वापस लौटानी होगी.

फ्लैट पर कब्जा देने में विफल रही कंपनी

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट ने एनबीसीसी को एक फ्लैट खरीदार को ब्याज सहित 76 लाख रुपये से अधिक राशि वापस करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही, याचिकाकर्ता को हुई ‘मानसिक पीड़ा’ के लिए पांच लाख रुपये हर्जाना देने का भी निर्देश दिया है. अदालत ने सरकारी कंपनी के फ्लैट खरीदार को 2012 में खरीदे गए फ्लैट का कब्जा देने में विफल रहने पर अदालत ने यह कदम उठाया है.

घर खरीदना भावनात्मक निवेश : हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने एनबीसीसी के खिलाफ फ्लैट खरीदार की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि घर खरीदना किसी व्यक्ति या परिवार का अपने जीवनकाल में किए गए सबसे महत्वपूर्ण निवेशों में से एक है. इसमें अक्सर बरसों की बचत, सावधानीपूर्वक योजना और भावनात्मक निवेश शामिल होता है. इसीलिए गड़बड़ी होने पर घर खरीदने वालों को क्षतिपूर्ति देना पिछली गड़बड़ी को सुधारने के साथ भविष्य इस तरह की चीजों को रोकने का भी मामला है.

अदालत ने कंपनी को लगाई फटकार

दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी ने कहा कि उसने 2012 में गुरुग्राम के लिए शुरू की गई परियोजना एनबीसीसी ग्रीन व्यू अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदा था, लेकिन 2017 में 76 लाख रुपये से अधिक की पूरी बिक्री कीमत का भुगतान करने के बावजूद उन्हें फ्लैट नहीं मिला. अदालत ने आठ मई को पारित आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को पिछले 10 साल से उसके पैसे से वंचित किया गया है और संरचनात्मक रूप से दोषपूर्ण घरों का निर्माण किया गया, जिससे परियोजना पूरी तरह से अधर में लटक गई.

छह सप्ताह में पूरा पैसा देने का आदेश

एनबीसीसी ने राशि पर ब्याज का भुगतान करने और याचिकाकर्ता के पुनर्वास को लेकर अनिच्छा जताई. ऐसे में जरूरी है कि कंपनी से कठोरता से निपटा जाए. अदालत ने कहा कि इसलिए, यह अदालत तत्काल रिट याचिका की अनुमति देने को इच्छुक है. प्रतिवादी एनबीसीसी को निर्देश दिया जाता है कि वह भुगतान की गई पूरी राशि आज से छह सप्ताह की अवधि के भीतर 30 जनवरी, 2021 से अबतक 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करे.

गोल्ड लोन पर 20,000 से अधिक नहीं मिलेगा कैश, आरबीआई ने दिया निर्देश

हर्जाने के तौर पर पांच लाख का भुगतान

अदालत के आदेश के अनुसार, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता को पिछले सात साल में घर बदलने पड़े और काफी मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा है. ऐसे में यह अदालत एनबीसीसी को याचिकाकर्ता को हर्जाने के रूप में पांच लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश देती है.

एयर इंडिया एक्सप्रेस ने पैसेंजर्स को दिया किराया रिफंड का ऑप्शन, जारी किया व्हाट्सएप नंबर

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Exit mobile version