नोटबंदी के सूत्रधार की आज होगी आरबीआई से विदाई, जानें कौन बने केंद्रीय बैंक का 26वां गवर्नर

RBI Governor: भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1980 बैच के अधिकारी दास ने राजस्व विभाग और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव के रूप में कार्य किया था. आरबीआई की कमान संभालने के पहले शक्तिकांत दास 2016 की नोटबंदी के समय भी सूत्रधार के तौर पर प्रमुख भूमिका में थे.

By KumarVishwat Sen | December 10, 2024 9:24 AM

RBI Governor: नोटबंदी के सूत्रधार रहे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास आज मंगलवार 10 दिसंबर 2024 को आरबीआई हेडक्वार्टर से विदा हो जाएंगे. सोमवार को ही सरकार ने आरबीआई के 26वें गवर्नर के तौर पर राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को कमान सौंप दी है. आरबीआई गवर्नर के पद पर संजय मल्होत्रा की इस नियुक्ति के साथ ही शक्तिकांत दास को आरबीआई गवर्नर के तौर पर तीसरा कार्यकाल मिलने की चर्चाएं थम गईं. इसके पहले वह गवर्नर के तौर पर दिसंबर, 2018 से तीन-तीन साल के दो कार्यकाल बिता चुके हैं.

शक्तिकांत दास को दो बार मिल चुका है सर्वश्रेष्ठ बैंक का अवॉर्ड

शक्तिकांत दास को पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल के अचानक गवर्नर पद छोड़ने के बाद पहली बार 12 दिसंबर, 2018 को आरबीआई की कमान सौंपी गई थी. बीते छह वर्षों में उन्हें अमेरिका स्थित ‘ग्लोबल फाइनेंस’ पत्रिका ने दो बार सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंकर भी घोषित किया. उन्होंने आरबीआई गवर्नर के तौर पर पिछले हफ्ते मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता भी की. बैठक खत्म होने के बाद दास ने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने निरंतर उथल-पुथल और झटकों का सफलतापूर्वक सामना किया है.

कोविड महामारी में दिखा शक्तिकांत का प्रदर्शन

शक्तिकांत दास को आरबीआई मुख्यालय में अपना कार्यभार संभालने के साथ ही अधिशेष हस्तांतरण के मुद्दे पर पैदा हुए विवाद को निपटाना पड़ा था. उन्होंने न केवल बाजार की चिंताओं को दूर किया, बल्कि सरकार को अधिशेष हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों को चतुराई से हल भी किया. उसके एक साल बाद ही भारत समेत पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के चंगुल में फंस गई थी. एक प्रमुख आर्थिक नीति निर्माता के रूप में दास को लॉकडाउन से उपजी बाधाओं के प्रबंधन की चुनौती का भी सामना करना पड़ा. उस समय शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 4 फीसदी के ऐतिहासिक निचले स्तर पर लाने का विकल्प चुना.

2021 में सरकार ने बढ़ाया था कार्यकाल

कोविड महामारी से उबरने के बाद शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने की तेजी दिखाई. उनके कुशल प्रबंधन को देखते हुए सरकार ने 2021 में उन्हें एक बार फिर आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया. उन्होंने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि उनके कार्यकाल के अंतिम चार वर्षों में आर्थिक वृद्धि 7 फीसदी से अधिक रहे.

सरकार के साथ अच्छा था तालमेल

आरबीआई गवर्नर के तौर पर दास का नरेंद्र मोदी सरकार के साथ तालमेल अच्छा रहा. उनके गवर्नर बनने के बाद से एक बार भी आरबीआई की स्वायत्तता का मुद्दा नहीं उठा. वह सहयोगियों और मीडिया के लिए स्पष्टवादी और सुलभ रहे. उन्होंने आम सहमति का रास्ता अपनाते हुए सरकार के साथ संवाद बनाए रखा. इस दौरान आरबीआई ने 2024 की शुरुआत में 2.11 लाख करोड़ रुपये का अबतक का सबसे अधिक लाभांश सरकार को दिया.

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नोटबंदी में शक्तिकांत दास की प्रमुख भूमिका

रिपब्लिक भारत की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई की कमान संभालने के पहले शक्तिकांत दास 2016 की नोटबंदी के समय भी सूत्रधार के तौर पर प्रमुख भूमिका में थे. 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे से पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट अचानक प्रचलन से बाहर कर दिए गए थे. भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1980 बैच के अधिकारी दास ने राजस्व विभाग और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव के रूप में कार्य किया था. सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें 15वें वित्त आयोग का सदस्य और जी20 समूह में भारत का शेरपा भी नियुक्त किया गया था.

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