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देशी ट्वीटर Koo की बढ़ी लोकप्रियता, सरकारी विभागों में पहुंच से माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को मिली पहचान

Koo App प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते वर्ष जुलाई में आत्मनिर्भर भारत ऐप इनोवेशन चैलेंज लॉन्च किया था. विशेषकर यह चैलेंज ऐसे भारतीय ऐप्स की पहचान के लिए था, जिसका इस्तेमाल लोग पहले से कर रहे हैं और जिनमें अपनी श्रेणी में विश्व स्तर के ऐप्स बनने की क्षमता है. बाद में अलग-अलग कैटेगरी में लगभग दो दर्जन ऐप्स को अवॉर्ड्स भी दिए गए हैं. कू (KOO) इनमें से ही एक माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है. इसमें हम अपनी मातृभाषा में Text, Video और Audio के जरिए अपनी बात रख सकते हैं और Interact कर सकते हैं.

Koo App प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते वर्ष जुलाई में आत्मनिर्भर भारत ऐप इनोवेशन चैलेंज लॉन्च किया था. विशेषकर यह चैलेंज ऐसे भारतीय ऐप्स की पहचान के लिए था, जिसका इस्तेमाल लोग पहले से कर रहे हैं और जिनमें अपनी श्रेणी में विश्व स्तर के ऐप्स बनने की क्षमता है. बाद में अलग-अलग कैटेगरी में लगभग दो दर्जन ऐप्स को अवॉर्ड्स भी दिए गए हैं. कू (KOO) इनमें से ही एक माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है. इसमें हम अपनी मातृभाषा में Text, Video और Audio के जरिए अपनी बात रख सकते हैं और Interact कर सकते हैं.

देशी ट्वीटर के विकल्प के तौर पर भारत सरकार के निकायों में कू की लोकप्रियता बढ़ी है. एक रिपोर्ट के अनुसार, Koo अब भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY) के साथ ही अन्य कई सरकारी विभागों का एक हिस्सा है और एक वेरिफाइड हैंडल प्लेटफॉर्म भी है. रिपोर्ट के मुताबिक, लॉ एंड जस्टिस, आईटी मिनिस्ट्री समेत कई विभागों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है और इस ऐप के अब 4.29 लाख फॉलोवर्स है.

गौर हो कि सरकार के आदेशों के बावजूद देश-विरोधी गतिविधियों को मंच देने और प्रोत्साहित करने को लेकर ट्विटर और केंद्र सरकार कई बार आमने-सामने दिखें. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा इसके कई संगठन माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर, से मेड-इन-इंडिया प्लेटफॉर्म कू (Koo) की ओर रुख कर चुके हैं. बीते दिनों कई ट्वीट का इस्तेमाल किसानों के विरोध के नाम पर गलत सूचना और भड़काउ सामग्री शेयर करने के लिए किया गया था. ट्विटर ने उन अकाउंट को ब्लॉक करने से इनकार कर दिया था, जिन्होंने एक हैशटैग ट्रेंड किया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी पर किसान नरसंहार का प्रयास करने का आरोप लगाया गया.

बता दें कि कू (Koo) एक मेड इन इंडिया ऐप है, जो ट्विटर की तरह काम करता है. यह लोगों को अपनी भाषा में अपने विचार व्यक्त करने की आजादी देता है. इस ऐप को देसी ट्विटर भी कहा जाता है. स्वदेशी ऐप कू की शुरुआत अप्रमेय राधाकृष्णा ने किया था जो कैब-हेलिंग कंपनी TaxiForSure के को-फाउंडर भी रहे हैं. राधाकृष्णा के मुताबिक, वर्तमान में जो माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म हैं, उनमें अंग्रेजी भाषाई लोगों से बाहर के लोगों के बीच बढ़ने की संभावना नहीं है. जबकि Koo पर भारतीय भाषाओं में अपने विचार प्रकट करने की आजादी मिलती है. उनका मानना है कि Koo आने वाले समय में भारतीयों की आवाज को एक भारतीय प्लेटफॉर्म पर और मजबूत करेगा.

भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं. ऐसे में फेसबुक, ट्विटर और वाट्सऐप के विकल्प के तौर पर कई ऐसे ऐप के यूजर्स तेजी से बढ़ रहे हैं, जो क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी राय रखने की आजादी दे रहे हैं. इनमें नमस्ते भारत, इंडियन मैसेंजर, एलीमेंट्स, टूटर और कू (Koo) जैसे ऐप शामिल हैं. करीब 10 महीने पुराने माइक्रोब्लॉगिगं स्टार्टअप Koo ने 41 लाख डॉलर (29.84 करोड़ रुपये) का फंड जुटा लिया है. स्वदेशी माइक्रोब्लॉगिंग स्टार्टअप कू इस कैपिटल का इस्तेमाल अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए करेगा.

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Upload By Samir Kumar

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