DHFL Fraud Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने डीएचएफएल ऋण धोखाधड़ी मामले में आरोप पत्र दायर किया है. अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने कहा है कि आरोपियों ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए 87 फर्जी कंपनियां और करीब 2 लाख 60 हजार फर्जी कर्जदार बनाए थे. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केन्द्रीय जांच एजेंसी ने अपने आरोप पत्र में यह भी कहा है कि अभियुक्तों ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक वर्चुअल ब्रांच भी बनाए थे. बता दें 34 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के डीएचएफएल फ्रॉड मामले की सीबीआई जांच कर रही है.
सीबीआई की चार्जशीट: धोखाधड़ी मामले में अपनी चार्जशीट में सीबीआई ने कहा है कि डीएचएफएल ने साल 2007 से 2017 के बीच 87 शेल कंपनियों को खड़ा कर 11 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया. रिपोर्ट के मुताबिक, पैसे को डाइवर्ट करने के लिए वर्चुअल ब्रांच भी बनाए. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में यह भी कहा है कि कपिल और धीरज वधावन ने डायवर्टेड फंड से 63 करोड़ रुपये की 24 पेंटिंग भी खरीदी थी.
75 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर: बीते महीने सीबीआई की ओर से दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में कंपनियों सहित कुल 75 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया गया कि डीएचएफएल ने 2007 और 2017 के बीच 87 शेल संस्थाओं को 11,765 करोड़ रुपये का भुगतान किया.
बांद्रा शाखा के नाम पर होता था फ्रॉड: मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस फर्जीवाड़ा करने के लिए कथित तौर पर फर्जी कंपनियों का उपयोग कर बैंकों से धन लिया जाता था, इसके बाद उस धन को अपनी संस्थाओं में बदल दिया जाता था. सीबीआई की चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि डीएचएफएल की ऋण वितरण के लिए कई शाखाएं थीं. इन फर्जी कंपनियों को वितरण के लिए कंपनी ने बांद्रा शाखा के नाम से एक विशेष तरह का कोड बनाया था.
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