संघर्ष, समर्पण और आत्मविश्वास की दास्तान थे धीरूभाई अंबानी, चुटकियों में निपटाते थे चुनौती
Dhirubhai Ambani Birthday: आज मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी का जन्मदिन है. वे अपने जीवनकाल में यह साबित करते रहे हैं कि यदि इरादा मजबूत हो और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी सपने को हकीकत में बदला जा सकता है. धीरूभाई अंबानी का मानना था, ''अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है.''
हाईलाइट्स
Dhirubhai Ambani Birthday: धीरूभाई अंबानी का नाम भारतीय उद्योग जगत में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है. एक साधारण बिजनसमैन से लेकर देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक बनने तक की कहानी है. उनकी जीवन यात्रा न केवल व्यापार और उद्योग की दुनिया में अभूतपूर्व सफलता की कहानी है, बल्कि यह संघर्ष, समर्पण और आत्मविश्वास की प्रेरक दास्तान भी है. उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर दिल में जोश और इरादा मजबूत हो, तो किसी भी मुश्किल से पार पाया जा सकता है.
धीरूभाई अंबानी का जन्म
धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाडा गांव में हुआ था. उनका परिवार बहुत साधारण था. बचपन में ही उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा. उनका जीवन शुरू से ही संघर्षों से भरा था. 16 साल की उम्र में वे घर से दूर यमन गए, जहां उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों का कारोबार करना शुरू किया. यहीं से उनके व्यापारिक जीवन की नींव पड़ी.
धीरूभाई अंबानी का संघर्ष
यमन में काम करते हुए धीरूभाई अंबानी ने बहुत कुछ सीखा, लेकिन उनके मन में हमेशा भारत लौटने और यहां अपने कारोबार को फैलाने का सपना था. 1958 में वे मुंबई लौटे और अपना पहला व्यापार शुरू किया. उनका कारोबार छोटे स्तर पर था, लेकिन उनका दृष्टिकोण बहुत बड़ा था. धीरूभाई अंबानी का मानना था, ”अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है.”
रिलायंस का गठन और सफलता की शुरुआत
धीरूभाई अंबानी ने 1960 में रिलायंस कम्युनिकेशंस की शुरुआत की. शुरुआत में उनकी कंपनी का काम बहुत छोटा था, लेकिन उन्होंने तेजी से अपने व्यवसाय का विस्तार करना शुरू किया. उनका मानना था, ”भारतीय बाजार में बहुत संभावनाएं हैं.” उन्होंने विदेशी कंपनियों के मुकाबले अपने उत्पादों को सस्ते और गुणवत्तापूर्ण बनाने का प्रयास किया. उनके दृष्टिकोण और संघर्ष ने उन्हें भारतीय व्यापार जगत में एक अलग पहचान दिलाई.
1977 में पहली बार रिलायंस ने जारी किया सार्वजनिक शेयर
1977 में रिलायंस ने पहली बार सार्वजनिक शेयर जारी किए, जो भारतीय पूंजी बाजार के लिए एक नया कदम था. यह एक साहसिक कदम था, जिसने उनकी कंपनी को न केवल आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान की, बल्कि उन्हें एक अग्रणी उद्योगपति के रूप में स्थापित किया.
धीरूभाई अंबानी का इनोवेशन और जोखिम
धीरूभाई अंबानी का एक और प्रमुख गुण था उनका इनोवेशन और जोखिम लेने की क्षमता. उन्होंने पेट्रोलियम और रसायन उद्योग में कई अनोखे कदम उठाए. 1980 के दशक में उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज को एक प्रमुख वैश्विक कंपनी बनाने की दिशा में काम किया. उनका नेतृत्व और दूरदृष्टि उन्हें दूसरे उद्योगपतियों से अलग बनाती थी.
सपनों को साकार करने में विश्वास रखते थे धीरूभाई अंबानी
धीरूभाई अंबानी का सबसे बड़ा योगदान था, अपने कर्मचारियों को यह विश्वास दिलाना कि वे किसी भी स्थिति में अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं. उन्होंने कर्मचारियों के साथ अपने रिश्ते को पारंपरिक तरीके से अलग रखा और उनकी अहमियत को समझा. इसके परिणामस्वरूप, रिलायंस ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी पहचान बनाई.
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धीरूभाई अंबानी सामाजिक योगदान और उनकी धरोहर
धीरूभाई अंबानी का जीवन केवल व्यापारिक सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि उन्होंने समाज के लिए भी कई पहलें कीं. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में कई दान किए. उनके योगदान से रिलायंस की सामाजिक जिम्मेदारी को भी एक नया आयाम मिला. आज भी धीरूभाई अंबानी की यादें जीवित हैं. उनके द्वारा बनाई गई रिलायंस इंडस्ट्रीज अब भारत की सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली कंपनियों में से एक है. उनका जीवन संघर्ष, समर्पण, और सफलता की मिसाल है. वे यह साबित करते रहे हैं कि यदि इरादा मजबूत हो और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी सपने को हकीकत में बदला जा सकता है.
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