Digital Loan App: हाल के दिनों में ऑनलाइन वित्तीय गतिविधियां बढ़ने से एक नयी क्रांति भारत में आयी है. मगर, इसके साथ ही, साइबर फ्राड के मामले काफी ज्यादा तेजी से बढ़े हैं. वहीं, हाल के दिनों में डिजिटल एप के माध्यम से लोन देने के मामले में ठगी की घटनाएं भी बढ़ी है. भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने मानसून सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में बताया कि अवैध डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स के खिलाफ शिकायतों की संख्या इस वर्ष दोगुनी से अधिक होकर 1,062 हो गई है. आपको बता दें कि केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा ऐसे अवैध डिजिटल लोन देने वाले एप पर नकेल कसने की पूरी कोशिश कर रही है. मगर, फिर भी एप से जुड़ी शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही है. नवंबर 21 तक ऐसी शिकायतों की संख्या 261 थी. इसके बाद शिकायतों में लगातार वृद्धि हो रही है.
साइबर अपराध से निपटने को नियम बनाने: संसदीय समिति
इधर, वित्त पर गठित संसद की समिति ने साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या और निजी जानकारी से जुड़े आंकड़ों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता के बीच सरकार को इनसे निपटने के लिए नियम जारी करने का बृहस्पतिवार को सुझाव दिया है. वित्त मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति ने सरकार को साइबर संरक्षण प्राधिकरण (सीपीए) के गठन का सुझाव देने के साथ इस प्राधिकरण को ‘एथिकल हैकर्स’ की सेवाएं लेने को भी कहा. भारतीय जनता पार्टी के सांसद जयंत सिन्हा की अगुवाई वाली संसदीय समिति की बैठक में बैंक धोखाधड़ी रोकने के लिए केंद्रीय नकारात्मक रजिस्ट्री बनाने का सुझाव देते हुए कहा गया कि सीपीए को यह काम करना चाहिए. समिति ने साइबर अपराध के शिकार लोगों के लिए मुआवजे की मौजूदा व्यवस्था को नाकाफी बताते हुए कहा कि इसमें वित्तीय संस्थानों को सहयोगी भूमिका निभानी चाहिए. इसके अलावा मुआवजे के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को भी आसान बनाने के बारे में सोचना चाहिए.
अवैध रुप से काम कर रहे हैं सभी एप
बता दें कि ऐसे सभी एप जो ऑनलाइन लोन देते हैं वो अवैध रुप से काम कर रहे हैं. ऑनलाइन लोन ऐप्स/डिजिटल लोन के संबंध में विनियमित संस्थाओं (आरई) के खिलाफ शिकायतें आरबीआई-एकीकृत लोकपाल योजना, 2021 के अनुसार आरबीआई के पास दर्ज हो रही है. इसके साथ ही, आरबीआई के द्वारा राज्य स्तरीय समन्वय समिति के तहत डिजिटल लोन और इसके माध्यम से होने वाले नुकसान के को देखते हुए जानकारी और शिकायत के लिए ऑनलाइन पोर्टल सचेत भी लॉच लिया गया है. बता दें कि कई मामलों में एप के माध्यम से लोन लेने के बाद उत्पीड़न से आत्महत्या के मामले भी सामने आ चुके हैं. मामले में सख्त कदम उठाते हुए सरकार ने डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स को Google और Apple स्टोर से प्रतिबंध कर इन्हें ऐप स्टोर से हटाने के लिए कहा है.
लोन देने के लिए आरबीआई से लेना होता है लाइसेंस
भारत में किसी भी प्रकार का लोन एप के माध्यम से लोन देने के लिए पहले आरबीआई से लाइसेंस लेना पड़ता है.यदि ऐप केवल एक वितरक है, तो उसे बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) जैसे लोन देने वाले भागीदारों के नामों का भी खुलासा करना होता है. इसके साथ ही, एप के माध्यम से लोन लेने वालों ने शिकायत की है कि उनके जानने वालों को एप एजेंसियां कॉल करके शर्मिंदा महसूस कराती है. ऐसे में RBI ने गूगल और एप्पल को डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स को ग्राहक की निजी जानकारी साझा करने से रोकने के लिए कहा है.
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एप के माध्यम से लोन लेकर फंसने पर क्या करें
एप के माध्यम से लोन लेने के बाद अगर, आपको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो सबसे पहले साइबर थाना में शिकायत करें. इसके बाद आप चाहें तो आरबीआई से ऑनलाइन भी एप और लोन के बारे में पूरी जानकारी देते हुए शिकायत कर सकते है.
क्या है डिजिटल लोन
डिजिटल लोन एक आधुनिक तकनीकी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से लोन को आवेदन करना, अनुमोदन प्राप्त करना और ऋण राशि को खाते में अंतरित करना आसान और तेज़ हो जाता है. इसमें पेपरवर्क की कमी होती है और सभी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन तरीके से संपादित की जाती हैं. डिजिटल लोन प्रक्रिया वित्तीय संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली विभिन्न तरह की ऋण श्रेणियों के लिए लागू होती है. डिजिटल लोन में कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन खुद आवेदन कर सकता है, जिससे पेपरवर्क की तकनीकीता कम होती है और आवेदन की प्रक्रिया तेज़ होती है. साथ ही, डिजिटल लोन में आवेदकों को ज्यादा दस्तावेज़ीकरण नहीं करने पड़ता है. आपके खाते विवरण, आधार कार्ड और वैध पहचान प्रमाणिका के साथ कुछ अन्य विवरणों की जांच की जाती है. हालांकि, डिजिटल लोन केवल भारत में रिजर्व बैंक से रजिस्टर्ड संस्थान या बैंक के द्वारा दिया जा सकता है. इन ऋणदाताओं को रिजर्व बैंक के सबी गाइड लाइन का पालन करना होता है.
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