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Digital Payment: आरबीआई के इस आदेश के बाद खटाखट डिजिटल पेमेंट करेंगे दिव्यांग

Digital Payment: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और भुगतान प्रणाली प्रदाताओं से दिव्यांग लोगों के लिए पेमेंट सिस्टम की समीक्षा कर, उन्हें अधिक सुलभ बनाने का निर्देश दिया है. इसके अलावा, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिम आकलन में सुधार के लिए सभी स्रोतों से प्राप्त जानकारी का उपयोग करने की सलाह दी गई है.

Digital Payment: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दिव्यांग लोगों की डिजिटल भुगतान प्रणाली तक पहुंच को और सुगम बनाने के लिए बैंकों और गैर-बैंक भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (PSP) से समीक्षा करने का आग्रह किया है. शुक्रवार को जारी किए गए एक सर्कुलर में, आरबीआई ने कहा कि सभी वर्ग, विशेष रूप से दिव्यांग लोग, तेजी से डिजिटल भुगतान को अपना रहे हैं. इस स्थिति को देखते हुए, बैंकों और अन्य भुगतान प्रणाली प्रदाताओं से अपने सिस्टम की समीक्षा करने को कहा गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दिव्यांग लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो.

भुगतान प्रणालियों की समीक्षा और बदलाव का निर्देश

आरबीआई ने अपने सर्कुलर में निर्देश दिया है कि भुगतान प्रणाली प्रतिभागी (PSP), जिनमें बैंक और गैर-बैंक भुगतान प्रणाली प्रदाता शामिल हैं, अपनी भुगतान प्रणालियों और उपकरणों जैसे ‘पॉइंट-ऑफ-सेल’ (POS) मशीनों की समीक्षा करें और दिव्यांग लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक बदलाव करें. यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दिव्यांग लोग अक्सर डिजिटल भुगतान प्रणालियों का उपयोग करने में कठिनाइयों का सामना करते हैं.

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आरबीआई ने बैंकों और भुगतान प्रणाली प्रदाताओं से एक महीने के भीतर अपनी समीक्षा का ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा है. इसके साथ ही, उन्हें यह भी बताने के लिए कहा गया है कि किन-किन प्रणालियों में सुधार की आवश्यकता है और इस सुधार कार्य को पूरा करने के लिए एक समयबद्ध कार्य योजना भी प्रस्तुत करनी होगी. इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दिव्यांग लोग भी बिना किसी परेशानी के डिजिटल भुगतान प्रणाली का उपयोग कर सकें.

सभी स्रोतों से प्राप्त सूचना का उपयोग करें

इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) से भी अनुरोध किया है कि वे अपने जोखिम आकलन में सुधार के लिए सभी स्रोतों से प्राप्त जानकारी का उपयोग करें. आरबीआई ने यह भी जोर दिया कि बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं समय-समय पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण जैसे खतरों का आकलन करें, जिससे वे इन समस्याओं पर नियंत्रण रख सकें.

मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के प्रयास

आरबीआई ने अपने निर्देश में कहा कि बदलते कारोबारी वातावरण और वित्तीय उत्पादों में बढ़ती जटिलताओं के कारण मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिम भी बढ़ गए हैं. इसलिए, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इन जोखिमों से निपटने के लिए एक मजबूत और सटीक आकलन प्रक्रिया विकसित करनी होगी.

आरबीआई ने बैंकों और एनबीएफसी से यह भी कहा कि वे मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण की पहचान करने और उसे रोकने के लिए समय-समय पर उपयुक्त कदम उठाएं. इस प्रक्रिया में उन्हें सभी उपलब्ध सूचनाओं का पूरा उपयोग करना चाहिए, जिससे जोखिम का आकलन सटीक और प्रभावी हो सके.

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लगातार बदलते कारोबारी माहौल में जोखिम प्रबंधन की जरूरत

आरबीआई ने यह भी ध्यान दिलाया कि मौजूदा समय में कारोबारी माहौल तेजी से बदल रहा है और वित्तीय उत्पादों में जटिलताओं का स्तर भी बढ़ रहा है. इन परिस्थितियों में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिम और भी बढ़ जाते हैं. इसलिए, वित्तीय संस्थाओं को अपने जोखिम प्रबंधन में सुधार करना होगा और समय-समय पर इसकी समीक्षा करनी होगी ताकि किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों पर समय रहते लगाम लगाई जा सके.

समयबद्ध योजना की जरूरत

दिव्यांग लोगों के लिए पेमेंट सिस्टम को अधिक उपयोगी और सुलभ बनाने के लिए आरबीआई ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से तुरंत एक योजना बनाने को कहा है. इस योजना में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पेमेंट सिस्टम की समीक्षा के आधार पर आवश्यक सुधार जल्दी से किए जाएं. इस कार्य के लिए एक समयबद्ध योजना बनाई जाएगी और इसे भारतीय रिजर्व बैंक के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा.

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