Dollar Vs Rupees: बजट के बाद भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक गिरावट, पहली बार 87 रुपये के पार
Dollar Vs Rupees: भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक गिरावट के साथ एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया है. पहली बार रुपया 87 रुपये के आंकड़े को पार कर गया है, जिससे मुद्रा बाजार में चिंता का माहौल बना हुआ है.
Dollar Vs Rupees: भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक गिरावट के साथ एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया है. पहली बार रुपया 87 रुपये के आंकड़े को पार कर गया है, जिससे मुद्रा बाजार में चिंता का माहौल बना हुआ है. यह गिरावट अमेरिकी सरकार द्वारा संभावित रूप से टैरिफ बढ़ाने की आशंका के बीच आई है, जिसने रुपया की वैल्यू को और दबाव में डाल दिया है.
रुपये में अभूतपूर्व गिरावट
भारत में रुपया कारोबार की शुरुआत में ही डॉलर के मुकाबले 42 पैसे की गिरावट के साथ 87.06 के स्तर पर खुला. जैसे-जैसे बाजार खुला, रुपया और कमजोर हुआ और केवल 10 मिनट के भीतर 55 पैसे गिरकर 87.12 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गया. यह गिरावट भारतीय मुद्रा के लिए अभूतपूर्व है, जिसने बाजारों का ध्यान आकर्षित किया है.
गिरावट के कारण
इस गिरावट के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं. सबसे बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि अमेरिका द्वारा भारतीय आयातों पर टैरिफ बढ़ाने की संभावना ने बाजारों में घबराहट पैदा की है. इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा है, जो रुपया के मूल्य में और गिरावट का कारण बना. इसके अलावा, वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और महंगाई को लेकर चिंताएं भी इस गिरावट को बढ़ावा दे रही हैं.
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
रुपये की गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई असर डाल सकती है. कमजोर रुपया के कारण आयात की लागत बढ़ सकती है, खासकर कच्चे तेल जैसे महत्वपूर्ण सामान की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिन पर भारत निर्भर है. इससे महंगाई बढ़ सकती है, जो आम लोगों की जीवनशैली पर असर डालेगी. इसके अलावा, व्यापारों पर भी दबाव बनेगा, खासकर उन पर जो विदेशी सामग्री और उपकरणों पर निर्भर हैं.
हालांकि रुपये की गिरावट ने चिंता पैदा की है, विश्लेषक यह देख रहे हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस मुद्रा को स्थिर करने और आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए किस तरह की रणनीतियां अपनाता है. आने वाले हफ्तों में, वैश्विक आर्थिक स्थिति और टैरिफ से संबंधित निर्णय रुपये की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं.
आगे की राह
भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले जो गिरावट दिखा रहा है, उसने रुपये की स्थिरता और अर्थव्यवस्था पर इसके दीर्घकालिक प्रभावों के सवाल को जन्म दिया है. भारत इन कठिन समयों से निपटने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर विचार कर रहा है, और रुपये का भविष्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतियों, महंगाई नियंत्रण उपायों और घरेलू आर्थिक सुधारों पर निर्भर करेगा.
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