डोनाल्ड ट्रंप का सख्त रुख, अमेरिका भारत को जवाबी शुल्क से छूट नहीं देगा
Donald Trump: अमेरिका द्वारा 25% जवाबी शुल्क लगाने का फैसला भारत के इस्पात और एल्युमीनियम उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है. हालांकि, डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुसार, भारत के शुल्क वैश्विक मानकों के अनुरूप हैं. व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी रणनीति बदलकर नए बाजारों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि अमेरिका के प्रतिबंधों का असर कम किया जा सके.
Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत को जवाबी शुल्क से छूट नहीं मिलेगी. अमेरिका की ओर से आयातित इस्पात और एल्युमीनियम पर 25% शुल्क लगाने के फैसले से वैश्विक व्यापार युद्ध गहराने की संभावना है. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-नवंबर में दोनों देशों के बीच 82.52 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें भारत का निर्यात 52.89 अरब डॉलर और आयात 29.63 अरब डॉलर रहा. इस दौरान भारत के पक्ष में व्यापार अधिशेष 23.26 अरब डॉलर रहा.
क्या कहता है ट्रंप प्रशासन
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत बहुत अधिक शुल्क लगाता है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान होता है. भारत की औसत शुल्क दर 17% है. वहीं, अमेरिका की यह दर मात्र 3.3% है. विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका के जवाबी शुल्क डब्ल्यूटीओ नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं.
भारत पर अमेरिकी शुल्क का प्रभाव
- भारतीय इस्पात उत्पादकों पर असर: अमेरिकी बाजार में भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम के निर्यात को कठिनाई होगी. मूडीज रेटिंग्स के अनुसार, नए शुल्क के कारण भारतीय इस्पात कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
- महंगाई और उत्पादन लागत में वृद्धि: अमेरिका में शुल्क बढ़ने से आयातित कच्चे माल की कीमतें बढ़ेंगी. भारतीय कंपनियों को भी महंगे आयात की वजह से नुकसान हो सकता है.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में शुल्क की भूमिका
आयात शुल्क सरकार की ओर से आयातित वस्तुओं पर लगाए जाने वाले कर होते हैं, जिनका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और विदेशी कंपनियों के प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को संतुलित करना होता है.
जवाबी शुल्क क्या हैं?
जब कोई देश दूसरे देश के व्यापारिक शुल्कों का जवाब शुल्क बढ़ाकर देता है, तो इसे जवाबी शुल्क कहा जाता है. भारत ने 2018 में अमेरिका की ओर से लगाए गए शुल्क के जवाब में 29 अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाया था.
शुल्क क्यों बढ़ा रहा है ट्रंप प्रशासन
- अमेरिका का व्यापार घाटा: 2023-24 में अमेरिका का भारत के साथ 35.31 अरब डॉलर का व्यापार घाटा था. अमेरिका चीन और अन्य देशों के साथ भी भारी व्यापार असंतुलन झेल रहा है.
- चुनावी रणनीति: 2024 चुनाव से पहले ट्रंप अमेरिका में “मेड इन अमेरिका” नीति को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं.
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क्या भारत को ट्रंप की नीतियों से नुकसान होगा?
भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध मजबूत हैं, लेकिन उच्च शुल्क से भारतीय निर्यातकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, भारत कई अन्य देशों के साथ व्यापार समझौते कर रहा है, जिससे अमेरिकी निर्भरता को कम किया जा सके.
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