डीआरडीओ ने डिजाइन की थ्री लेयर ECWCS प्रणाली, -50 डिग्री सेल्सियस में भी पहन सकेंगे इस तकनीक से बने कपड़े

ग्लेशियर और हिमालय की चोटियों पर अपने ऑपरेशंस के निरंतर संचालन के लिए भारतीय सेना को ECWCS प्रणाली की जरूरत पड़ती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2021 8:09 PM

नयी दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने थ्री लेयर एक्स्ट्रीम कोल्ड वेदर क्लोदिंग सिस्टम (Extreme Cold Weather Clothing System) डिजाइन की है. इस तकनीक से जो कपड़े बनेंगे, उसे शून्य से 50 डिग्री नीचे यानी -50 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी पहना जा सकेगा. डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलायड साइंसेस (DIPAS) ने इसे डिजाइन किया है.

मंगलवार (27 दिसंबर 2021) को रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ (DRDO) के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने नयी दिल्ली में 5 भारतीय कंपनियों को अत्यधिक ठंडी मौसम वस्त्र प्रणाली ECWCS की तकनीक सौंपी है.

ग्लेशियर और हिमालय की चोटियों पर अपने ऑपरेशंस के निरंतर संचालन के लिए भारतीय सेना को ECWCS प्रणाली की जरूरत पड़ती है. अभी सेना ECWCS वस्त्र प्रणाली और अनेक विशेष कपड़ों और पर्वतारोहण उपकरण (एससीएमई) वस्तुओं का ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए आयात करना पड़ता है.

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डीआरडीओ ने जो ECWCS प्रणाली डिजाइन की है, वह शारीरिक गतिविधि के विभिन्न स्तरों के दौरान हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न परिवेशी जलवायु परिस्थितियों में अपेक्षित इन्सुलेशन पर आधारित बेहतर थर्मल इन्सुलेशन शारीरिक सहूलियत के साथ एक एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गयी मॉड्यूलर तकनीकी कपड़ा प्रणाली है.

ECWCS प्रणाली की खूबियां

ईसीडब्ल्यूसीएस में सांस की गर्मी और पानी की कमी, गति की निर्बाध सीमा और पसीने को तेजी से सोखने से संबंधित शारीरिक अवधारणाओं सहित पर्याप्त सांस लेने की क्षमता और उन्नत इन्सुलेशन के साथ-साथ अधिक ऊंचाई वाले संचालन के लिए वाटर प्रूफ और गर्मी प्रूफ विशेषताएं उपलब्ध कराने की अवधारणाएं शामिल हैं.

तीन स्तर वाली ईसीडब्ल्यूसीएस प्रणाली को विभिन्न संयोजनों और शारीरिक कार्य की तीव्रता के साथ +15 से -50 डिग्री सेल्सियस के तापमान रेंज में उपयुक्त रूप से थर्मल इन्सुलेशन उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है.

हिमालय की चोटियों में मौसम की स्थिति में व्यापक उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए यह कपड़ा प्रणाली मौजूदा परिस्थितियों के लिए आवश्यक इन्सुलेशन या आईआरईक्यू को पूरा करने के लिए कुछ संयोजनों का लाभ उपलब्ध कराती है, जिससे भारतीय सेना के लिए एक व्यवहार्य आयात विकल्प उपलब्ध हो रहा है.

इस अवसर पर डॉ जी सतीश रेड्डी ने न केवल सेना की मौजूदा जरूरतों को पूरा करने के लिए, बल्कि निर्यात के लिए अपनी क्षमता का लाभ उठाने के लिए भी एससीएमई वस्तुओं के लिए स्वदेशी औद्योगिक आधार विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया है.

Posted By: Mithilesh Jha

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