भारत के खुदरा बाजारों में जल्द ही चलन में आएगा ई-रुपी, 13 बैंक और 14 शहरों में पायलट परीक्षण शुरू
केंद्रीय बैंक ने यह साफ किया है कि वह डिजिटल मुद्रा को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है और इसे धीमी गति से और बाधाओं से निजात मिलने के बाद अपनाने के पक्ष में है. आरबीआई ने एक नवंबर को सीबीडीसी को थोक उपयोग के लिए जारी किया था.
मुंबई : भारत में मोबाइल ऐप के जरिए जिस प्रकार से डिजिटल पेमेंट किया जा रहा है, उसके मद्देनजर अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश में रिटेल डिजिटल रुपया लाने की तैयारी में जुटा हुआ है. आरबीआई ने बुधवार को कहा कि डिजिटल रुपये के इस्तेमाल संबंधी खुदरा उपभोक्ता पायलट परियोजना में पांच अन्य बैंक और नौ नए शहर भी शामिल किए जाएंगे. आरबीआई ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) यानी ई-रुपी को खुदरा ग्राहकों के लिए दिसंबर की शुरुआत में पहली बार जारी किया था. यह पायलट परीक्षण पांच शहरों में मौजूद आठ बैंकों के साथ चल रहा है. पांच अन्य बैंकों और नौ शहरों को शामिल किए जाने के बाद अब देश में कुल 13 बैंकों और 14 शहरों में ई-रुपी से लेनदेन का पायलट परीक्षण शुरू हो गया है.
अभी तक 5000 दुकानों में उपलब्ध है ई-रुपी सुविधा
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि खुदरा ई-रुपी अभी केवल 50,000 ग्राहकों और 5,000 दुकानदारों को ही उपलब्ध है. इस सेवा को संबंधित बैंकों की तरफ से निमंत्रण के आधार पर जारी किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इसके दायरे में पांच अन्य बैंक भी जोड़े जाएंगे. इसके अलावा इसका विस्तार नौ नए शहरों में भी करने की तैयारी की जा रही है.
ई-रुपी से लेनदेन में होगी आसानी
हालांकि, केंद्रीय बैंक ने यह साफ किया है कि वह डिजिटल मुद्रा को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है और इसे धीमी गति से और बाधाओं से निजात मिलने के बाद अपनाने के पक्ष में है. आरबीआई ने एक नवंबर को सीबीडीसी को थोक उपयोग के लिए जारी किया था, जबकि एक दिसंबर को खुदरा इस्तेमाल के लिए इसे जारी किया गया था. सीबीडीसी या ई-रुपी को अपनाने से अंतर-बैंक बाजार के अधिक सक्षम होने की उम्मीद है और रुपये के लेनदेन में आसानी होगी.
ई-रुपी क्या है?
किसी फिजिकल नोट की तरह सीबीडीसी अथवा ई-रुपी एक लीगल टेंडर है. इसके बदले भारतीय रिजर्व बैंक आपको पैसे चुकाने का आश्वासन देता है. हम कानूनी रूप से इसे स्वीकार कर सकते हैं. यह कमर्शियल बैंक मनी के बदले फ्री में बदला जा सकता है. आप इसे डिजिटल नोट की तरह समझ सकते हैं.
यूपीआई से कैसे अलग है ई-रुपी
यूपीआई या यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस में आपको एक बैंक की जरूरत होती है जो आपके ट्रांजैक्शन को वैलिडेट करता है. सीबीडीसी में आपको किसी बैंक या बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं है. मुद्रा के लेनदेन में के सेटलमेंट में लगने वाला समय कम हो जाएगा और यह नकदी का विकल्प बन सकता है.
Also Read: ई-रुपी से रुकेगा भ्रष्टाचार
ई-रुपी की क्यों पड़ी जरूरत
बैंक डिपाजिट की तुलना में सीबीडीसी अधिक सुरक्षित है. आपके बैंक में रखी 5,00,000 रुपये तक की रकम का बीमा होता है. सीबीडीसी की गारंटी आरबीआई देता है और इस वजह से आपके डिजिटल करेंसी की रकम के नुकसान का खतरा कम हो जाता है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.