कोरोना वायरस के गंभीर संकट के बीच भी देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2021-22 में 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इस आधिकारिक अनुमान के साथ भारत ने दुनिया की तीव्र आर्थिक वृद्धि वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था का दर्जा फिर हासिल कर लिया है.
National Statistical Office ने आज राष्ट्रीय आय का पहला अनुमान जारी किया जिसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में जीडीपी की वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रहेगी. इससे यह साफ संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बावजूद पटरी पर है.
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक के 9.5 प्रतिशत वृद्धि की संभावना व्यक्त की थी, जिससे यह थोड़ा कम है. वहीं पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट रही थी. हालांकि चालू वित्त वर्ष में अभी एक तिमाही बची है और हाल में कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमिक्रोन के साथ कोविड-19 मामले बढ़े हैं.
कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए विभिन्न राज्यों ने पाबंदियां लगायी है. इससे अर्थव्यवस्था के खासकर मानवीय संपर्क से जुड़े क्षेत्रों के लिए जोखिम बढ़ गया है. मुख्य रूप से कृषि, खनन और विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से वित्त वर्ष 2021.22 में 9.2 प्रतिशत वृद्धि के साथ अर्थव्यवस्था वास्तविक आंकड़े के आधार पर कोविड-पूर्व स्तर के पार हो जाएगी.
एनएसओ ने एक बयान में कहा, स्थिर मूल्य पर वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 2021-22 में 147.54 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. जबकि 2020-21 के लिए गत 31 मई को जारी अस्थायी अनुमान में यह 135.13 लाख करोड़ रुपये था.
इस तरह 2021-22 में वास्तविक जीडीपी की वृद्धि 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. जबकि एक साल पहले 2020-21 में इसमें 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. जीडीपी वृद्धि दर का यह अनुमान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और एस एंड पी के 9.5 प्रतिशत के अनुमान से कम है.
मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने हाल में वृद्धि दर 9.3 प्रतिशत जबकि फिच रेटिंग्स ने 8.7 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी है. विश्व बैंक ने सबसे कम 8.3 प्रतिशत रहने जबकि आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने वृद्धि दर 9.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.
भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान चीन के लिए जताये गये 8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है. एनएसओ का अनुमान है कि 2021-22 में निरपेक्ष रूप से जीडीपी कोविड-पूर्व स्तर 2019-20 के 145.69 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर जाएगी.
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